"महमूद ग़ज़नवी": अवतरणों में अंतर

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== मूल ==
[[सुबुक तिगिन]] एक तुर्क ग़ुलाम (दास) था जिसने खोरासान के सामानी शासकों से अलग होकर ग़ज़नी में स्थित अपना एक छोटा शासन क्षेत्र स्थापित किया था। पर उसकी ईरानी बेगम की संतान महमूद ने साम्राज्य बहुत विस्तृत किया। फ़ारसी काव्य में महमूद के अपने ग़ुलाम [[मलिक अयाज़]] के साथ समलैंगिक प्रेम का ज़िक्रप्ज़िक्र मिलता है ([[हाफ़िज़ शिराज़ी]])<ref>दीवान-ए-हाफ़िज़ का एक शेर है - <br> बार-ए-दिले मजनूं व ख़म ए तुर्रे-इ-लैली, <br> रुख़सार ए महमूद कफ़-ए-पाए अयाज़ अस्त। (लैली की जुल्फों के मोड़, मजनूं के दिल का भारीपन जैसे महमूद का चेहरा अयाज के तलवों में हो।)</ref>। उर्दू में [[इक़बाल]] का लिखा एक शेर -
<blockquote>
न हुस्न में रहीं वो शोखियाँ, न इश्क़ में रहीं वो गर्मियाँ;