"कुछ तुम कहो कुछ हम कहें": अवतरणों में अंतर

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अभय को पता चलता है कि रुद्र के गुस्से की वजह बहुत पुरानी है। उसे पता चलता है कि बहुत पहले वीरेंद्र प्रताप और विष्णु प्रताप बहुत ही करीबी दोस्त हुआ करते थे। विष्णु की शादी वीरेंद्र की बहन से हो जाती है और पच्चीस साल पहले अभय के पिता, इंद्रा की शादी वीरेंद्र प्रताप की भांजी से तय हुई थी। पर शादी से बचने के लिए उस दिन ही इंद्रा घर छोड़ कर भाग जाता है। इस वजह से वीरेंद्र की बहन को काफी अपमान सहना पड़ता है और वो ख़ुदकुशी कर लेती है। वीरेंद्र इसका जिम्मेदार उस परिवार के बेटे को ठहराता है। अभय ये सब जानकर परिवार को फिर से मिलाने की तैयारी में लग जाता है। पर वो अब भी अभय को मार कर अपनी बहन और पिता का बदला लेना चाहता है।
 
काफी मेहनत के बाद अभय दोनों परिवार को एक करने में सफल हो जाता है। वो अपने दादा से मंगला से शादी करने की इजाजद मांगने की सोचता है, पर उससे पहले ही परिवार को हमेशा के लिए एक करने के लिए, मंगला की शादी वीरेंद्र के परिवार में तय हो जाती है।
 
दोनों परिवार वालों को हमेशा के लिए एक करने के लिए वो अपने प्यार की कुर्बानी देने का फैसला करता है, पर मंगला इस शादी के लिए तैयार नहीं होती और घर से भाग जाती है। अभय उसकी तलाश में निकल जाता है। रुद्र को जैसे ही मंगला के घर से भागने के बारे में पता चलता है, वो भी उसे ढूँढने निकल पड़ता है। मंगला को अभय ढूंढ निकालता है और उसे घर चलने को कहता है, उसके मनाते समय ही वो भी आ जाता है और अभय को मारने लगता है। जब उन्हें अभय और मंगला के प्यार के बारे में पता चलता है तो उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है और वे सभी फिर से अभय और मंगला के साथ एक हो जाते हैं।
 
==कलाकार==