"कुछ तुम कहो कुछ हम कहें": अवतरणों में अंतर

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==कहानी==
विष्णुप्रताप सिंह (विक्रम गोखले) गाँव में अपनी विकिबीवी (फरीदा जलाल) के साठ अपना साठवां जन्मदिन मनाते रहता है। वो इस मौके पर अपने पराया जैसा हो चुके बेटे से भी बात करता है। जिसके बाद उनका पोता, अभय (फरदीन खान) अपनी माँ और बहन के साथ आता है। वो अपने व्यवहार से सारे परिवार वालों का दिल जीत लेता है। इसी के साथ वो विष्णुप्रताप के दोस्त की पोती, मंगला (ऋचा पल्लोद) का दोस्त भी बन जाता है। पर जल्द ही उन दोनों की दोस्ती, प्यार में बदल जाती है। उसकी मुलाक़ात वीरेंद्र प्रताप (गोविंद नामदेव) से होती है और लड़ाई शुरू हो जाती है। विष्णु प्रताप उन दोनों की लड़ाई देख लेता है और अभय को थप्पड़ मार देता है।
 
अभय को पता चलता है कि रुद्र के गुस्से की वजह बहुत पुरानी है। उसे पता चलता है कि बहुत पहले वीरेंद्र प्रताप और विष्णु प्रताप बहुत ही करीबी दोस्त हुआ करते थे। विष्णु की शादी वीरेंद्र की बहन से हो जाती है और पच्चीस साल पहले अभय के पिता, इंद्रा की शादी वीरेंद्र प्रताप की भांजी से तय हुई थी। पर शादी से बचने के लिए उस दिन ही इंद्रा घर छोड़ कर भाग जाता है। इस वजह से वीरेंद्र की बहन को काफी अपमान सहना पड़ता है और वो ख़ुदकुशी कर लेती है। वीरेंद्र इसका जिम्मेदार उस परिवार के बेटे को ठहराता है। अभय ये सब जानकर परिवार को फिर से मिलाने की तैयारी में लग जाता है। पर वो अब भी अभय को मार कर अपनी बहन और पिता का बदला लेना चाहता है।