"गोविन्द शंकर कुरुप": अवतरणों में अंतर

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{{आज का आलेख}}
{{ज्ञानसन्दूक लेखक
| नाम = गोविन्द शंकर कुरुप
| चित्र = G.shankarakurup.jpg
| चित्र आकार = 200px
| चित्र शीर्षक = गोविन्द शंकर कुरुप की स्मृति में जारी डाकटिकट
| उपनाम =
| जन्मतारीख़ = [[५ जून]] [[१९०१]]
| जन्मस्थान = [[नायतोट्ट]], [[केरल]], [[भारत]]
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| राष्ट्रीयता = [[भारत|भारतीय]]
| भाषा = [[मलयालम]]
| काल = <!--is this for her writing period, or for her life period? I'm not sure...-->
| विधा = [[गद्य]] एवं [[पद्य]]
| विषय = प्रेम प्रकृति आध्यात्म
| आन्दोलन =
| प्रमुख कृति = [[विश्व दर्शनम्]], [[ओट्टकुष़ल]] या [[ओटक्कुष़ल]]
| प्रभाव डालने वाला = <!--यह लेखक किससे प्रभावित होता है-->
| प्रभावित = <!--यह लेखक किसको प्रभावित करता है-->
| हस्ताक्षर =
| जालपृष्ठ =
| टीका-टिप्पणी = १९६५ के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित
| मुख्य काम =
}}
'''गोविन्द शंकर कुरुप''' या जी शंकर कुरुप ([[५ जून]] [[१९०१]]-[[२ फरवरी]] [[१९७८]])<ref>{{cite book |lastश्रोत्रिय |first=डॉ॰ प्रभाकर|title= ज्ञानपीठ पुरस्कार|year=2005|publisher=भारतीय ज्ञानपीठ|location=नई दिल्ली|id=81-263-1140-1 |page=18 |accessdayaccess-date= 4 |accessmonth= दिसंबर|accessyear= 2008}}</ref> [[मलयालम]] भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। उनका जन्म [[केरल]] के एक गाँव [[नायतोट्ट]] में हुआ था। ३ साल की उम्र से उनकी शिक्षा आरंभ हुई। ८ वर्ष तक की आयु में वे 'अमर कोश' 'सिद्धरुपम' 'श्रीरामोदन्तम' आदि ग्रन्थ कंठस्थ कर चुके थे और [[रघुवंश]] महाकाव्य के कई [[श्लोक]] पढ चुके थे। ११ वर्ष की आयु में महाकवि [[कुंजिकुट्टन]] के गाँव आगमन पर वे कविता की ओर उन्मुख हुये। [[तिरुविल्वमला]] में अध्यापन कार्य करते हुये [[अँग्रेजी]] [[भाषा]] तथा [[साहित्य]] का अध्यन किया। अँग्रेजी साहित्य इनको गीति के आलोक की ओर ले गया। उनकी प्रसिद्ध रचना [[ओटक्कुष़ल]]<ref>{{cite web |url= http://www.pustak.org/bs/home.php?bookid=567|title= ओटक्कुषल्|accessmonthdayaccess-date=[[६ दिसंबर]]|accessyear= [[2008]]|format= पीएचपी|publisher= भारतीय साहित्य संग्रह|language=}}</ref>
अर्थात बाँसुरी भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार '''[[ज्ञानपीठ]]''' द्वारा सम्मानित हुई।<ref>{{cite web |url= http://www.bbc.co.uk/hindi/news/story/2007/04/070407_askus_hercules.shtml|title= पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार किसे दिया गया था|accessmonthdayaccess-date=[[दिसंबर]]|accessyear= [[2008]]|format= पीएचपी|publisher= बीबीसी|language=}}</ref>
इनके द्वारा रचित एक [[कविता–संग्रह]] '''[[विश्वदर्शनम् ]]''' के लिये उन्हें सन् 1963 में [[साहित्य अकादमी]] पुरस्कार से सम्मानित किया गया।<ref name="sahitya">{{cite web | url=http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/akademi%20samman_suchi_h.jsp | title=अकादमी पुरस्कार | publisher=साहित्य अकादमी | accessdate=11 सितंबर 2016}}</ref>
 
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* '''आत्मकथा''' - ओम्मर्युटे ओलंगलिल् (दो खंड)
* '''अनुवाद''' - अनुवादों में से तीन बांग्ला में से हैं, दो संस्कृत से, एक अंग्रेज़ी के माध्यम से फ़ारसी कृति का और एक इसी माध्यम से दो फ़्रेंच कृतियों के। बांग्ला कृतियाँ हैं- गीतांजलि, एकोत्तरशती, टागोर। संस्कृत की कृतियाँ हैं- मध्यम व्यायोग और मेघदूत, फारसी की रुबाइयात ए उमर ख़ैयाम<ref>{{cite web |url= http://kakesh.com/2007/anuwad_other_language/|title= उमर की रुबाइयों के अनुवाद भारतीय भाषाओं में
|accessmonthdayaccess-date=[[६ दिसंबर]]|accessyear= [[2008]]|format=|publisher= काकेश की कतरनें|language=}}</ref> और फ़्रेंच कृतियों के अंग्रेजी नाम हैं- द ओल्ड मैन हू डज़ नॉट वांट टु डाय, तथा द चाइल्ड व्हिच डज़ नॉट वॉन्ट टु बी बॉर्न।
 
== सन्दर्भ ==