"पेशी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Skeletal muscle.jpg|right|thumb|300px|पेशी की संरचना]]
'''पेशी''' (Muscle) प्राणियों का आकुंचित होने वाला (contractile) [[ऊतक]] है। इनमें आंकुंचित होने वाले सूत्र होते हैं जो कोशिका का आकार बदल देते हैं। पेशी कोशिकाओं द्वारा निर्मित उस [[ऊतक]] को '''पेशी ऊतक''' कहा जाता है जो समस्त [[अंग|अंगों]] में गति उत्पन्न करता है।<ref>{{cite book |last=त्रिपाठी |first=नरेन्द्र नाथ |title= सरल जीवन विज्ञान, भाग-२|year=मार्च २००४ |publisher=शेखर प्रकाशन |location=कोलकाता |id= |page=८६-८७ |
== वर्गीकरण ==
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ऐच्छिक पेशी का निर्माण करने वाले कोशिकाएँ लंबी, बेलनाकार एवं अशाखित होती हैं। ऐच्छिक पेशी सूत्रों की प्रकाश द्वारा परीक्षा करने से वे लंबाई की ओर खंडों में विभक्त पड़ते हैं, जिनमें से एक प्रकाशहीन और दूसरा प्रकाशमय खंड बारी बारी से स्थित है, अर्थात् प्रकाशमय के पश्चात् प्रकाशहीन और उसके पश्चात् फिर प्रकाशमय। प्रकाहीन खंड के दोनों सिरों पर चौड़ाई की ओर बिंदु दिखाई देते हें, जो आपस में चौड़ाई की ओर अत्यंत सूक्ष्म रेखाओं से जुड़े हुए हैं। ऐसी ही रेखाएँ सूत्र की लंबाई की ओर भी इन बिंदुओं को जोड़े हुए हैं। यही रेखाजाल (straition) कहलाता है, जो अनुप्रस्थ और अनुदैर्ध्य दोनों प्रकार है। प्रत्येक सूत्राणु में यह दृश्य दीखता है। ये सूत्राणु अंतस्सूत्राणु वस्तु द्वारा गुच्छों में बँधे हैं, जिनके चारों ओर पेशीसार (sarcopl) स्थित है और जिसमें केंद्रक (nucleus) स्थित है। पेशी कोशिकाओं के चारों ओर एक आवरण पाया जाता है जिसे सार्कोलेमा ([[Sarcolemma]]) तथा उपस्थित [[केंद्रक]] को सार्कोप्लाज्म ([[Sarcoplasm]]) कहते हैं। इसमें बहुकोशिकीय केंद्रक पाया जाता है।
प्रत्येक पेशी तंतु में गहरी पट्टी जिसे A पट्टी कहते हैं जो मायोसीन ([[Myosin]]) की बनी होती है। इसमें हल्की I पट्टी एक्टिन ([[Actin]])
अनैच्छिक पेशीसूत्र छोटे होते हैं। प्रत्येक सूत्राणु एक लंबोतरे आकार की कोशिका होता है, जो एक सिरे पर चपटा सा होता है और दूसरे पर लंबा, जहाँ वह कडरा में लग जाता है। इसकी लंबाई की ओर रेखाएँ भी दिखाई पड़ती हैं। एक कोशिका की लंबाई 200 माइक्रोन और चौड़ाई 4 से 7 माइक्रोन से अधिक नहीं होती। ये रेखांकित नहीं होती। इनमें एक ही केंद्रक होता है। ये पेशियाँ स्तरों में स्थित होती हैं, जिनमें सूत्राणु या सूत्रकोशिका अपने सिरों से मिली रहती है। आशायों या आंत्रनाल में ये पेशियाँ दो स्तरों में स्थित हैं। एक स्तर आंत्र की लंबाई की ओर स्थित है और दूसरा उसको चौड़ाई की ओर से घेरे हुए है। इसको अनुवृत्तकार और अनुदैर्ध्यं स्तर कहा जाता है। इन दोनों स्तरों के संकोच से नाली के भीतर की वस्तु आगे की ओर को संचरित होती है।हार्दिक पेशीसूत्र इन दोनों के बीच में हैं। प्रत्येक सूत्र एक कोशिका है, जिससे अनुदैर्ध्य और अनुप्रस्थ दोनों प्रकार का रेखांकन दिखाई देता है। किंतु ये सूत्र इच्छा के अधीन नहीं है। कोशिकाओं में विशेषता यह है कि उनसे शाखाएँ निकलती हैं, जो दूसरी कोशिकाओं की शाखाओं में मिल जाती है।
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