"बंगाल का विभाजन (1905)": अवतरणों में अंतर

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'''बंगाल विभाजन''' के निर्णय की घोषणा '''19 जुलाई 1905''' को भारत के तत्कालीन वाइसराय [[लार्ड कर्जन]] द्वारा की गयी थी। एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य से ही [[भारत]] के [[बंगाल]] को दो भागों में बाँट दिये जाने का निर्णय लिया गया था। विभाजन '''16 अक्टूबर 1905''' से प्रभावी हुआ। इतिहास में इसे '''बंगभंग''' के नाम से भी जाना जाता है। यह अंग्रेजों की "फूट डालो - राज करो" वाली नीति का ही एक अंग था। अत: इसके विरोध में 1908 ई. में सम्पूर्ण देश में `बंग-भंग' आन्दोलन शुरु हो गया।<ref>{{cite web |url= http://www.abhyuday.org/xprajna/html/himanshu.php
|title=महामना : एक विलक्षण व्यक्तित्व
|accessmonthdayaccess-date=[[28 जुलाई]]|accessyear= [[2007]]|format= पीएचपी|publisher= अभ्यदय.ऑर्ग|language=}}</ref> इस विभाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनो तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह से बंगाल के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से पुनः एक हो गए।
 
== उत्पत्ति ==
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== बंगभंग के विरुद्ध आन्दोलन ==
बंगभंग के विरुद्ध बंगाल के बाहर बहुत भारी आंदोलन हुआ। इस आंदोलन में देश के प्रसिद्ध कवियों और साहित्यकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस आंदोलन ने [[बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय]] के [[वंदे मातरम्]] गीत को नई बुलंदियाँ प्रदान की। उस समय बंगाल को बाँट देने का अंग्रेजी कुचक्र तो टूटा ही, सारे देश में और विदेशों में इसे असाधारण ख्याति मिली। जर्मन और कनाडा जैसे देश भी इससे प्रभावित हुए। [[कामागाटामारू]] नामक जहाज के झंडे पर 'वन्दे मातरम्' अंकित किया गया था। तब से सन् १९३० के नमक सत्याग्रह और सन् १९४२ के 'भारत छोड़ो' आन्दोलन तक सभी सम्प्रदायों से उभरे युवा स्वतंत्रता संग्राम सैनिकों का सबसे प्रेरक और प्रिय नारा रहा 'वन्दे मातरम्'। भारत वासियों की अन्तर्भावना इसे नैतिक आधार पर भली प्रकार स्वीकार कर चुकी थी।<ref>{{cite web |url= http://www.pragyaabhiyan.info/?news/100|title= वन्देमातरम् गीत को नैतिक एवं संवैधानिक दोनों मान्यताएँ प्राप्त हैं
|accessmonthdayaccess-date=[[28 जुलाई]]|accessyear= [[2007]]|format= पीएचपी|publisher= प्रज्ञाभियान.इन्फ़ो|language=}}</ref>
 
== बंगभंग की समाप्ति ==