"विषाणु": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
→top: ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: मे → में |
|||
पंक्ति 9:
| subdivision =
}}
'''विषाणु''' अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित [[कोशिका]] में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं।<ref>{{cite book |last=यादव, नारायण |first=रामनन्दन, विजय |title= अभिनव जीवन विज्ञान |year=मार्च २००३ |publisher=निर्मल प्रकाशन |location=कोलकाता |id= |page=१-४० |
विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन [[१७९६]] में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि [[चेचक]], विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन [[१८८६]] में एडोल्फ मेयर ने बताया कि [[तम्बाकू]] में मोजेक रोग एक विशेष प्रकार के वाइरस के द्वारा होता है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी [[१८९२]] में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। बेजेर्निक और बोर ने भी तम्बाकू के पत्ते पर इसका प्रभाव देखा और उसका नाम टोबेको मोजेक रखा। मोजेक शब्द रखने का कारण इनका मोजेक के समान तम्बाकू के पत्ते पर चिन्ह पाया जाना था। इस चिन्ह को देखकर इस विशेष विषाणु का नाम उन्होंने [[टोबेको मोजेक वाइरस]] रखा।<ref>{{cite book |last=सिंह |first=गौरीशंकर|title= हाई-स्कूल जीव-विज्ञान |year=मार्च १९९२ |publisher=नालन्दा साहित्य सदन|location=कोलकाता |id= |page=४७-४८ |
विषाणु लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। [[जीवाणुभोजी विषाणु]] एक लाभप्रद विषाणु है, यह [[हैजा]], [[पेचिश]], [[टायफायड]] आदि रोग उत्पन्न करने वाले [[जीवाणु|जीवाणुओं]] को नष्ट कर मानव की रोगों से रक्षा करता है। कुछ विषाणु पौधे या जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं एवं हानिप्रद होते हैं। [[एचआईवी]], [[इन्फ्लूएन्जा वाइरस]], [[पोलियो वाइरस]] रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा, वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा विषाणुओं का संचरण होता है परन्तु विशिष्ट प्रकार के विषाणु विशिष्ट विधियों द्वारा संचरण करते हैं।
|