"श्रीकांत वर्मा": अवतरणों में अंतर

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{{आज का आलेख}}
{{ज्ञानसन्दूक लेखक
| नाम = श्रीकांत वर्मा
| चित्र = ShreekantVerma.jpg
| चित्र आकार = 200px
| चित्र शीर्षक = श्रीकांत वर्मा
| उपनाम =
| जन्मतारीख़ = 18 सितम्बर 1931
| जन्मस्थान = [[बिलासपुर]] [[छत्तीसगढ़]] [[भारत]]
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| राष्ट्रीयता = [[भारत|भारतीय]]
| भाषा = [[हिन्दी]]
| काल = आधुनिक काल<!--is this for her writing period, or for her life period? I'm not sure...-->
| विधा = गद्य और पद्य
| विषय = [[कविता]], [[कहानी]], [[समीक्षा]]
| आन्दोलन = [[प्रगतिशील आन्दोलन]],
| प्रमुख कृति = मगध
| प्रभाव डालने वाला = <!--यह लेखक किससे प्रभावित होता है-->
| प्रभावित = <!--यह लेखक किसको प्रभावित करता है-->
| हस्ताक्षर =
| जालपृष्ठ =
| टीका-टिप्पणी =
| मुख्य काम = साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत
}}
'''श्रीकांत वर्मा''' (Shrikant verma) ([[18 सितम्बर]] [[1931]]- [[25 मई 1986]]) का जन्म [[बिलासपुर]] (bilaspur), [[छत्तीसगढ़]] में हुआ। वे गीतकार, कथाकार तथा समीक्षक के रूप में जाने जाते हैं। ये राजनीति से भी जुडे थे तथा [[राज्यसभा]] के सदस्य रहे। [[१९५७]] में प्रकाशित 'भटका मेघ', [[१९६७]] में प्रकाशित 'मायादर्पण' और 'दिनारम्भ', [[१९७३]] में प्रकाशित 'जलसाघर' और [[१९८४]] में प्रकाशित 'मगध' इनकी काव्य-कृतियाँ हैं। 'मगध' काव्य संग्रह के लिए 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित हुये। 'झाड़ी' तथा 'संवाद' इनके कहानी-संग्रह है। 'अपोलो का रथ' यात्रा वृत्तान्त है। 'बीसवीं शताब्दी के अंधेरे में' साक्षात्कार ग्रंथ है।<ref>{{cite web |url= http://www.brandbihar.com/hindi/literature/kavya/shrikant_verma.html
|title=हिन्दी के कवि श्रीकांत वर्मा|accessmonthdayaccess-date=[[१६ दिसंबर]]|accessyear= [[२००९]]|format=|publisher=ब्रैंड बिहार.कॉम|language=}}</ref>
 
उनकी प्रारंभिक शिक्षा [[बिलासपुर]](bilaspur) तथा [[रायपुर]](raipur) में हुई तथा [[नागपुर विश्वविद्यालय]] से [[१९५६]] में उन्होंने [[हिन्दी]] साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। इसके बाद वे [[दिल्ली]] चले गये और वहाँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लगभग एक दशक तक पत्रकार के रूप में कार्य किया। [[१९६६]] से [[१९७७]] तक वे दिनमान के विशेष संवाददाता रहे। [[१९७६]] में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|काँग्रेस]] के टिकट पर चुनाव जीतकर वे [[राज्य सभा]] के सदस्य बने। सत्तर के दशक के उत्तरार्ध से अस्सी के दशक के पूर्वार्ध तक पार्टी के प्रवक्ता के रूप में कार्य करते रहे। [[१९८०]] में वे [[इंदिरा गांधी]] के राष्ट्रीय चुनाव अभियान के प्रमुख प्रबंधक रहे और [[१९८४]] में [[राजीव गांधी]] के परामर्शदाता तथा राजनीतिक विश्लेषक के रूप में कार्य करते रहे। कांग्रेस को अपना "गरीबी हटाओ" का अमर नारा दिया। वह पचास के दशक में उभरने वाले [[नई कविता]] आंदोलन के प्रमुख कवियों में से थे।
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मुक्तिबोध के काव्य संग्रह 'चाँद का मुँह टेढ़ा है' की कविताओं का संकलन
<ref>{{cite web |url= http://pratilipi.in/shrikant-verma/|title=श्रीकांत वर्मा|accessmonthdayaccess-date=[[१६ दिसंबर]]|accessyear= [[२००९]]|format=|publisher=प्रतिलिपि|language=}}</ref>
 
श्रीकांत वर्मा को 1973 में [[मध्यप्रदेश]] सरकार का 'तुलसी सम्मान'; 1984 में 'आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी पुरस्कार'; 1981 में 'शिखर सम्मान'; 1984 में कविता और राष्ट्रीय एकता के लिए केरल सरकार का 'कुमारन् आशान' राष्ट्रीय पुरस्कार; 1987 में 'मगध' नामक कविता संग्रह के लिये मरणोपरांत [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] प्रदान किए गए।
{{हिन्दी साहित्यकार (जन्म १९३१-१९४०)}}