"सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'": अवतरणों में अंतर

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{{आज का आलेख}}
{{ज्ञानसन्दूक लेखक
| नाम = सूर्यकान्त त्रिपाठी
| चित्र = Nirala.jpg
| चित्र आकार = 200px
| चित्र शीर्षक = सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
| उपनाम = 'निराला'
| जन्मतारीख़ = [[२१ फरवरी]], [[१८९९]]<ref name="स">निराला की साहित्य साधना, प्रथम खण्ड (जीवन चरित), [[रामविलास शर्मा]], राजकमल प्रकाशन प्रा०लि०, नयी दिल्ली, संस्करण-२००२, पृष्ठ-१७ एवं ४४३. [पृष्ठ-१७ पर निराला की जन्मतिथि के संदर्भ में अंग्रेजी तारीख देने के क्रम में मुद्रण-त्रुटि से २१ फरवरी के बदले २९ फरवरी मुद्रित हो गया है जिसका स्पष्टीकरण संवत् एवं तिथि के अनुसार अंग्रेजी तारीख बनाने के अतिरिक्त इसी पुस्तक के पृष्ठ संख्या-४४३ पर उल्लिखित तथ्यों के अनुसार भी आसानी से हो जाता है। पृष्ठ संख्या-४४३ पर निराला के जन्म के संदर्भ में पर्याप्त विचार-विमर्श के पश्चात् उनकी उक्त जन्मतिथि निर्धारित की गयी है। अतः किन्ही व्यक्ति को पूर्वाग्रहवश किसी अन्य तिथि को निराला की जन्मतिथि मानकर स्वयं या अन्य लोगों को भ्रमित करने की दिशा में कदम नहीं बढ़ाना चाहिए।]</ref>
| जन्मस्थान = [[मेदिनीपुर]], [[पश्चिम बंगाल]], [[भारत]]
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| राष्ट्रीयता = [[भारत|भारतीय]]
| भाषा = [[हिन्दी]]
| काल = [[आधुनिक काल]]<!--is this for her writing period, or for her life period? I'm not sure...-->
| विधा = गद्य तथा पद्य
| विषय = [[गीत]], [[कविता]], [[कहानी]], [[उपन्यास]], [[निबंध]]
| आन्दोलन = [[छायावादी युग|छायावाद]] व <br />[[प्रगतिवाद]]
| प्रमुख कृति = [[राम की शक्तिपूजा]], [[सरोज स्मृति]]
| प्रभाव डालने वाला = <!--यह लेखक किससे प्रभावित होता है-->
| प्रभावित = <!--यह लेखक किसको प्रभावित करता है-->
| हस्ताक्षर = Signaturenirala.jpg
| जालपृष्ठ =
| टीका-टिप्पणी =
| मुख्य काम =
}}
 
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== जीवन परिचय ==
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का जन्म [[बंगाल]] की [[महिषादल रियासत]] (जिला [[मेदिनीपुर]]) में माघ शुक्ल ११, संवत् १९५५, तदनुसार २१ फ़रवरी, सन् १८९९ में हुआ था।<ref name="स" /> वसंत पंचमी पर उनका जन्मदिन मनाने की परंपरा १९३० में प्रारंभ हुई।<ref>{{cite web|url= http://rishabha.wikispaces.com/Nirala+Jayanti+|title= निराला जयंती|accessmonthdayaccess-date=[[१० दिसम्बर]]|accessyear= [[२००८]]|format= |publisher= ऋषभ|language=}}</ref> उनका जन्म मंगलवार को हुआ था। जन्म-कुण्डली बनाने वाले पंडित के कहने से उनका नाम सुर्जकुमार रखा गया। उनके पिता पंडित रामसहाय तिवारी [[उन्नाव]] (बैसवाड़ा) के रहने वाले थे और महिषादल में सिपाही की नौकरी करते थे। वे मूल रूप से [[उत्तर प्रदेश]] के [[उन्नाव]] जिले के [[गढ़ाकोला]] नामक गाँव के निवासी थे।
 
निराला की शिक्षा हाई स्कूल तक हुई। बाद में [[हिन्दी]] [[संस्कृत]] और [[बांग्ला|बाङ्ला]] का स्वतंत्र अध्ययन किया। पिता की छोटी-सी नौकरी की असुविधाओं और मान-अपमान का परिचय निराला को आरम्भ में ही प्राप्त हुआ। उन्होंने दलित-शोषित किसान के साथ हमदर्दी का संस्कार अपने अबोध मन से ही अर्जित किया। तीन वर्ष की अवस्था में माता का और बीस वर्ष का होते-होते पिता का देहांत हो गया। अपने बच्चों के अलावा संयुक्त परिवार का भी बोझ निराला पर पड़ा। [[प्रथम विश्वयुद्ध|पहले महायुद्ध]] के बाद जो महामारी फैली उसमें न सिर्फ पत्नी मनोहरा देवी का, बल्कि चाचा, भाई और भाभी का भी देहांत हो गया। शेष कुनबे का बोझ उठाने में महिषादल की नौकरी अपर्याप्त थी। इसके बाद का उनका सारा जीवन आर्थिक-संघर्ष में बीता। निराला के जीवन की सबसे विशेष बात यह है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने सिद्धांत त्यागकर समझौते का रास्ता नहीं अपनाया, संघर्ष का साहस नहीं गंवाया। जीवन का उत्तरार्द्ध [[इलाहाबाद]] में बीता। वहीं दारागंज मुहल्ले में स्थित रायसाहब की विशाल कोठी के ठीक पीछे बने एक कमरे में १५ अक्टूबर १९६१ को उन्होंने अपनी इहलीला समाप्त की।
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== लेखनकार्य ==
निराला ने 1920 ई० के आसपास से लेखन कार्य आरंभ किया।<ref name="ब">निराला की साहित्य साधना, प्रथम खण्ड (जीवन चरित), रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन प्रा०लि०, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-39-40.</ref><ref>निराला रचनावली, खण्ड-1, सं०-[[नन्दकिशोर नवल]], राजकमल प्रकाशन प्रा०लि०, नयी दिल्ली, संस्करण-1998, पृ०-19.</ref> उनकी पहली रचना 'जन्मभूमि' पर लिखा गया एक गीत था।<ref name="ब" /> लंबे समय तक निराला की प्रथम रचना के रूप में प्रसिद्ध 'जूही की कली' शीर्षक कविता, जिसका रचनाकाल निराला ने स्वयं 1916 ई० बतलाया था, वस्तुतः 1921 ई० के आसपास लिखी गयी थी तथा 1922 ई० में पहली बार प्रकाशित हुई थी।<ref> निराला की साहित्य साधना, प्रथम खण्ड (जीवन चरित), रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन प्रा०लि०, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-60-61 तथा पृ०-440-441.</ref><ref>निराला रचनावली, खण्ड-1, पूर्ववत्, पृ०-42.</ref> कविता के अतिरिक्त कथासाहित्य तथा गद्य की अन्य विधाओं में भी निराला ने प्रभूत मात्रा में लिखा है।
 
=== प्रकाशित कृतियाँ ===