"स्नेल का नियम": अवतरणों में अंतर

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'''स्नेल का नियम''' तरंगों के [[अपवर्तन]] से सम्बन्धित एक सूत्र (फॉर्मूला) है जो आपतन कोण तथा अपवर्तन कोण के बीच सम्बन्ध स्थापित करता है।<ref>David Michael Harland (2007). "''[https://books.google.com/books?id=ScORNbV0E8wC&pg=PA1&dq&hl=en#v=onepage&q=&f=false Cassini at Saturn: Huygens results]''". p.1. {{ISBN|0-387-26129-X}}</ref> यह नियम निम्नलिखित है-
 
: '' आपतन कोण तथा अपवर्तन कोण के [[ज्या]]ओं का अनुपात दोनों माध्यमों में तरंग के फेज वेगों (phase velocities) के अनुपात के बराबर या दोनों माध्यमों के [[अपवर्तनांक|अपवर्तनांकों]] के अनुपात के व्युत्क्रम के बराबर होता है।''<ref>{{cite web |title=Ptolemy (ca. 100-ca. 170) |work=Eric Weinstein's World of Scientific Biography |url=http://scienceworld.wolfram.com/biography/Ptolemy.html}}</ref>
 
दूसरे शब्दों में,
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यहाँ प्रत्येक कोण <math>\theta</math> दोनों माध्यमों की सीमारेखा के अभिलम्ब के सापेक्ष मापा जाता है। <math>v</math> दोनों माध्यमों में प्रकाश का वेग है, <math>n</math> दोनों माध्यमों के अपवर्तनांक को अभिव्यक्त करता है।
 
==सन्दर्भ==
{{Reflist}}
 
[[श्रेणी:प्रकाशिकी]]