"धातु (संस्कृत के क्रिया शब्द)": अवतरणों में अंतर

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'धातु' शब्द स्वयं 'धा' में 'तिन्' प्रत्यय जोड़ने से बना है। रूच धातु कहां है।
 
व्याकरणशास्त्र में पाँच अंगों की परम्परा दिखती है। इसीलिये 'पंचांग व्याकरण' भी प्रसिद्ध है। पाँच अंग ये हैं- सूत्रपाठ, धातुपाठ, गणपाठ, उणादिपाठ तथा लिंगानुशासन। इन पाँच अंगों में से धातुपाठ अतिमहत्व पूर्णअतिमहत्वपूर्ण है। प्रायः सभी शब्दों की व्युत्पत्ति धातुओं से की जाती है। कहा गया है - ''सर्वं च नाम धातुजमाह''।
 
अनेकों वैयाकरणों ने धातुपाठों का प्रवचन किया है। श्रीमान [[युधिष्ठिर मीमांसक]] ने व्याकरशास्त्र के इतिहास में २६ वैयाकरणों का उल्लेख किया है। उनके व्याकरण आजकल प्राप्त नहीं हैं अतः कहना कठिन है कि किन किन ने धातुओं का प्रवचन किया।