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पल्व जाति ( हाडी जाति)
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हाडी / हरि जाति

हाडी / हरि जाति [सम्पादन]

हाडी ^३ संज्ञा पुं॰ [पं॰ हाडी ( = असाढ़)] एक प्रकार का पहाड़ी राग ।

हाडी ( HARI / HADI / HADDI )एक अति प्राचिन भातीय मूलनिवासी जाति है जिनका जिक्र विदेशीयो इतिहासकारो द्वारा भारतीय इतिहास के स्रोत मे मिलता है । हाडी वह उपेक्षित भारतीय समुदाय है जिन्हे हिन्दु वर्ण व्यवस्था तक मे स्थान प्राप्त नही था । इस समुदाय को वर्ण व्यवस्था से बाहर रखा गया था । इनको व्यपार , कृषि , विद्या ,अच्छी भोजन यहा तक की धन रखने का अधिकार तक नही था । ये लोग गाँव , नगर , कस्बो के बाहर झुग्गी झोपडा बना कर जिवन यापन करते थे उनके घरो मे विशेष चिन्ह हुआ करते थे ताकि अन्य समुदाय के लोगो को यह मालुम चल सके की ये घरें हाडी जातियों का है ओर अन्य लोग वहा से दुर रहें

गाँव , शहरो के सडको पर उनलोगो को अनुमति नही थी सिर्फ दोपहर के समय वे लोग सडको पर आते थे व भी उनलोगो को आते समय जोर जोर से आवाज निकालनी होती थी , ताकि अन्य लोग उसको न देख सके ।

उनलोगो को कही कही कमर मे झाडु व गले मे मटका ( मिट्टी की हांडी /मिट्टी का छोटा घडा )बाधकर रखना होता था ताकि उनके पद चिन्ह सडको पर न रहे, कमर की झाडु से पद चिन्ह मिट जाए ओर थुकने के लिए गले मे हांडी ताकि वह कही थुक न सके ।

हाडी जाति के लोग गाँव , नगर व कस्बे के सडक को साफ सफाई , मरे हुए पशु मवेशियो को हटाने का कार्य आदि घृणित कार्य कर अपने ओर अपने परिवार का लालन पालन किया करते थे