"दयानन्द सरस्वती": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Swami Dayanand.jpg|thumb|right|250px|स्वामी दयानन्द सरस्वती]]
'''महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती''' ([[१८२४1824]]-[[१८८३1883]]) आधुनिक [[भारत]] के महान चिन्तक, समाज-सुधारक व देशभक्त थे। उनका बचपन का नाम 'मूलशंकर'<ref name="Athaiya1971">{{cite book|author=Madhur Athaiya|title=Swami Dayanand Saraswati|url=https://books.google.com/books?id=aFhvBQAAQBAJ|year=1971|publisher=National Council of Educational Research and Training|isbn=978-93-5048-418-0}}</ref> था।
 
उन्होंने ने [[1874]] में एक [[आर्य]] सुधारक संगठन - [[आर्य समाज]] की स्थापना की। वे एक संन्यासी तथा एक महान चिंतक थे। उन्होंने [[वेदों]] की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। स्वामीजी ने [[कर्म|कर्म सिद्धान्त]], [[पुनर्जन्म]], [[ब्रह्मचर्य]] तथा [[सन्यास]] को अपने [[दर्शन]] के चार स्तम्भ बनाया। उन्होने ही सबसे पहले १८७६ में '[[स्वराज|स्वराज्य]]' का [[नारा]] दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया।