"बाघ": अवतरणों में अंतर

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| range_map_caption = बाघों का ऐतिहासिक वितरण (पेल येलो) एवं 2006 (हरा).<ref>{{cite web|url=http://www.savethetigerfund.org |title=Wild Tiger Conservation |publisher=Save The Tiger Fund |date= |accessdate=7 मार्च 2009-03-07}}</ref>
}}
{{भारत के राष्ट्रीय प्रतीक}}
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| page = 41
| url = http://www.biodiversitylibrary.org/page/726936
| accessdate = 8 सितंबर 2008-09-08
| volume = 1
| edition = 10th}}</ref> [[१९७०]] में विलुप्त हो जाने वाले मध्य एशिया के कैस्पियन बाघ व [[रूस]] के सुदूर पूर्व में मिलने वाले साइबेरियाई या एमुर बाघ एक जैसे हैं। इस खोज से यह पता चलता है कि किस तरह बाघ मध्य एशिया और रूस पहुंचे। आक्सफोर्ड के वाइल्ड लाइफ रिसर्च कंजरवेशन यूनिट के एक शोधकर्ता कार्लोस ड्रिस्काल के अनुसार विलुप्त कैस्पियन और आज के साइबेरियाई बाघ सबसे नजदीकी प्रजातियां हैं। इसका मतलब है कि कैस्पियन बाघ कभी विलुप्त नहीं हुए। अध्ययन के हवाले से कहा गया है कि ४० साल पहले विलुप्त हो गए कैस्पियन बाघों का ठीक से अध्ययन नहीं किया जा सका था। इसलिए हमें डीएनए नमूनों को फिर से प्राप्त करना पड़ा। एक अन्य शोधकर्ता डॉ॰ नाबी यामागुची ने बताया कि मध्य एशिया जाने के लिए कैस्पियन बाघों द्वारा अपनाया गया मार्ग हमेशा एक पहेली माना जाता रहा। क्योंकि मध्य एशियाई बाघ तिब्बत के पठारी बाघों से अलग नजर आते हैं। लेकिन नए अध्ययन में कहा गया है कि लगभग १० हजार साल पहले बाघ चीन के संकरे गांसु गलियारे से गुजरकर भारत पहुंचे। इसके हजारों साल बाद यही मार्ग व्यापारिक सिल्क रूट के नाम से विख्यात हुआ।<ref>{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/news/international/general/3_5_5157225.html|title= रेशम मार्ग से भारत आए थे बाघों के पूर्वज|access-date=[[१५ जनवरी]] [[२००८]]|format= एचटीएमएल|publisher= जागरण|language=}}</ref>
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बाघ" से प्राप्त