"सातवाहन": अवतरणों में अंतर

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== सातवाहनों का शासनकाल तथा कालक्रम ==
[[सातवाहनों]] के कालक्रम को लेकर विद्वानों में गहरे मतभेद हैं। [[ऐत्रेयय ब्राह्मण]] जो कि पाँच सौ ई0पूर्व में लिखा गया था उसमें आन्ध्रों को ऐसे दस्यु बताया गया है जो कि आर्य परिधि से बाहर थे तथा जो विश्वामित्र के वंशज थे। इस आधार पर डॉ॰डी0आर0 भण्डारकर ने 500 ई0पूर्व को सातवाहनों की आरम्भिक स्थिति माना है। डॉ॰वी0ए0 स्मिथ के अनुसार आन्ध्र पहले अधीनस्थ थे परन्तु उसकी मृत्यु के पश्चात् वे सिमुख के नेतृत्व में स्वतन्त्र हो गए तथा यह घटना तीसरी शताब्दी ई0पूर्व में हुई। इस विषय में स्मिथ ने पुराणों का ही आधार माना है जिनके अनुसार आन्ध्रों के कुल तीस शासकों ने लगभग 460वर्षों तक शासन किया। डॉ॰गोपालचारी ने भी इस तथ्य को स्वीकारते हुए यह माना है कि सातवाहन वंश की स्थापना लगभग 235ई0पूर्व तथा उसका पतन लगभग 255 ईस्वी में हुआ। कलिंग के शासक खारखेल के राज्यकाल में उत्कीर्ण हाथी गुम्फा शिलालेख के आधार पर रैपसन सातवाहन वंश का आरम्भ 220 ई0पूर्व तथा 211 ई0पूर्व के बीच मानते है परन्तु सातवाहनों के यासन काल को लेकर विभिन्न पुराणों में भी मतान्तर है। एक ओर जहा [[मत्स्यपुराण]] उनका कुल यासन काल 460वर्ष बताता है वहीं दूसरी ओर [[ब्राह्मणपुराण]] में यह अवधि 456 वर्ष बताई गई है।
 
[[वायुपुराण]] के अनुसार सातवाहनों ने 411 वर्षों तक शासन किया जबकि [[विष्णुपुराण]] उनकी शासन अवधि 300 वर्ष मानता है। दूसरी आर डॉ॰ आर0 जी0 भण्डारकर सातवाहन वंश की स्थापना 72.73 ई0पूर्व को मानते हैं। पुराणों में वर्णित एक वक्तव्य के आधार पर उन्होंने यह माना है कि, ‘‘शुंग मृत्य’’ कण्व शासक शुंग शासकों के सेवक थे तथा पेशवाओं की भांति उनके साथ-साथ शासन करते थे तथा सिमुक अथवा शिशुक नामक सातवाहन वंश के संस्थापक ने कण्व राजा सुश्रमन को मारकर कण्व तथा शुंग दोनो वंशो का अन्त कर दिया तथा उनके साम्राज्य को अपने आधीन कर लिया। परन्तु यह तथ्य अविश्वसनीय है क्योकिं हम यह भली-भांति जानते है कि शुंग तथा कण्व वंश के शासकों ने कभी संयुक्त रूप से शासन नही किया तथा कण्व वंश के संस्थापक वासुदेव कण्व ने अन्तिम शुंग शासक देवभूति की हत्या कर शासन की बागडोर सम्भाली थी। वायुपुराण के उस वक्तव्य जिसके आधार पर डॉ॰भण्डारकर ने गलत व्याख्या की है, को डॉ॰राय चौधरी ने सही ढ़ंग से परिभाषित किया है। उनके अनुसार यह गंद्याश मात्रा इतना ही बताता है कि सिमुक ने जब कण्व वंश का अन्त कर सातवाहन वंश की स्थापना की तो उसने उन शुंग उपशासकों भी समाप्त कर दिया जो कि कण्व वंश के हाथों शुंग शासकों के पराजित होने के बाद भी बचे रह गए थे। अतएव सातवाहन शासकों ने 29 ई0पूर्व (72ई0पूर्व -45वर्ष) में कण्व वंश का अन्त कर स्वयं शासन की बागडोर संभाली। परन्तु इस सब कारकों के होते हुए भी इस सम्भावना से इनकार नही किया जा सकता कि सिमुक जिसने 23वर्षों तक शासन किया वह कुछ समय पहले ही अर्थात पहली शताब्दी ई0पू0 के मध्य में ही सिंहासनारूढ़ हो गया होगा।