"अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)": अवतरणों में अंतर

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: ''येन शास्त्रं च शस्त्रं च नन्दराजगता च भूः।
: ''अमर्षेणोद्धृतान्याशु तेन शास्त्रमिदंकृतम् ॥ इति॥
:''इस ग्रंथ की रचना उन आचार्य ने की जिन्होंने अन्याय तथा कुशासन से क्रुद्ध होकर नन्दों के हाथ में गए हुए शास्त्रशस्त्र, शास्त्र एवं पृथ्वी का शीघ्रता से उद्धार किया था।''
 
चाणक्य सम्राट् [[चंद्रगुप्त मौर्य]] (321-298 ई.पू.) के महामंत्री थे। उन्होंने चंद्रगुप्त के प्रशासकीय उपयोग के लिए इस ग्रंथ की रचना की थी। यह मुख्यत: सूत्रशैली में लिखा हुआ है और संस्कृत के सूत्रसाहित्य के काल और परंपरा में रखा जा सकता है। ''यह शास्त्र अनावश्यक विस्तार से रहित, समझने और ग्रहण करने में सरल एवं कौटिल्य द्वारा उन शब्दों में रचा गया है जिनका अर्थ सुनिश्चित हो चुका है।'' (अर्थशास्त्र, 15.6)'