"वृन्दावन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Krishna-Balaram-Mandir.JPG|thumb|[[कृष्ण]] [[बलराम]] [[मन्दिर]] [[इस्कॉन]] वृन्दावन]]
 
'''श्रीधाम वृंदावन''' श्री कृष्ण भगवान के जन्म के कुछ समय बाद से जुड़ा हुआ अपार लीलाओं कीका रस स्थलीस्थल हे, यहाँ आज भी श्री कृष्ण और राधै रानी नित्य विहार के लिए आते है, नित्य विहार की अपार महिमा अवर्णनीय हे, यहाँ श्री बाँके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल है, और उनको इस कलयुग में प्रकट करने वाले श्री श्री चक्र चूणामणि रसिक अनन्य शिरोमणि नरपति सम्राट श्री 1008 स्वामी श्री श्री हरिदास जी महाराज जी के स्थान में वर्षों पुरानी परम्परा और नियम आज भी इस घोर कलयुग में भी प्रचलित हैं,हजारों वर्षों प्राचीन लता पतायें आज भी हे। श्री धाम वृंदावन [[मथुरा]] क्षेत्र का वह परम पावन स्थान है जो की पूर्णतया [[श्री कृष्ण भगवान]] की लीलाओं से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाललीलाओं का स्थान है। यह मथुरा से १५ किमी कि दूरी पर है। यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिरों की विशाल संख्या है। यहाँ स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर और उनका प्राकट्य स्थल निधिवन सबसे प्राचीन है। इसके अतिरिक्त यहाँ राधा बल्लभ, राधा दामोदर, सेवा कुञ्ज, केशी घाट, श्री टटिया स्थान, कृष्ण बलराम, इस्कान मन्दिर, पागलबाबा का मंदिर, रंगनाथ जी का मंदिर, [[प्रेम मंदिर]], श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर, [[अक्षय पात्र]], आदि दर्शनीय स्थान है। श्री टटिया स्थान प्राचीनता का साक्षात अनूठा अनुभव है। वंहा जो एक बार जाता है, ठाकुर जी में खो जाता है।
 
सम्पूर्ण वृंदावन श्री कृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। कालिदास ने इसका उल्लेख रघुवंश में इंदुमती-स्वयंवर के प्रसंग में शूरसेनाधिपति सुषेण का परिचय देते हुए किया है इससे कालिदास के समय में वृन्दावन के मनोहारी उद्यानों की स्थिति का ज्ञान होता है। श्रीमद्भागवत के अनुसार गोकुल से कंस के अत्याचार से बचने के लिए नंदजी कुटुंबियों और सजातीयों के साथ वृन्दावन निवास के लिए आये थे। [[विष्णु पुराण]] में इसी प्रसंग का उल्लेख है। विष्णुपुराण में अन्यत्र वृन्दावन में कृष्ण की लीलाओं का वर्णन भी है।