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मुगलकाल से पहले हाडी डोम एवं चांडाल का सयुक्त वर्णन मिलता है , ओर हलालखोर , हलखोर, राउत , बाल्मिकी या लालबेगी समुदाय इसके बाद अस्तित्व मे आयी हुई जातिया है , जो उस समय के क्षत्रिय हारे हुए लोग होगे , क्योकि हाडी जाति की संस्कृति अति प्रचिन है यहा तक की किसी शादी विवाह , मरने पर दाह शंस्कार इत्यादि मे ब्रहम्ण की कोइ स्थान नही है जबकी हलखोर , लालबेगी मे ब्रहम्ण को पुरोहित की तरह बुलाकर पुजा इत्यादि होती है , अतः हाडी जाति डोम एव चांडाल के समरूप जातिया है परन्तु हलखोर एव बाल्मीकि के समरूप नही है
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'''हाडी''', '''हाड़ी''' अथवा '''हरि''' और '''हरी''' [[भारत]] में निवास करने वाला एक समुदाय है जिसे परंपरागत रूप से [[अस्पृश्य]] (अछूत) जाति के अंतर्गत रखा जाता रहा है। ये लोग [[चांडाल|डोम]] नाडिया इत्यादि के समकक्ष रखे जाते रहे हैं और माना जाता है कि पुराने समय में इन्हें [[हिन्दू धर्म|हिन्दू]] [[वर्ण-व्‍यवस्‍था|वर्ण व्यवस्था]] में भी स्थान नहीं प्राप्त था।<ref>{{cite book|title=Pravakta Bharti Pariksha Itihaas|url=https://books.google.com/books?id=iU9DCQAAQBAJ&pg=PA199|publisher=Upkar Prakashan|isbn=978-93-5013-140-4|pages=199–}}</ref> इनके पुराने समय में मौजूद होने के प्रमाण उपलब्ध हैं। यह समुदाय एक उपेक्षित भारतीय समुदाय है जिन्हे व्यपार , कृषि , विद्या, अच्छी भोजन, धन रखने इत्यादि का अधिकार तक नही था । ये लोग गाँव , नगर , कस्बो के बाहर झुग्गी झोपड़ा बना कर निवास करते थे और इन्हें सफाईकर्मी जाति (अथवा) समुदाय के रूप में देखा जाता था। हाडी जाति के लोग गाँव , नगर व कस्बे के सड़क की साफ सफाई , मरे हुए पशु-मवेशियों को हटाने इत्यादि का कार्य करते थे।
 
भारतीय इतिहास के लिखित स्रोतों में, [[अलबरूनी]] द्वारा लिखित विवरण के हवाले से इनके उस समय होने को प्रमाणित किया जाता है।<ref name="Alka2018">{{cite book|author=Omlata Singh Alka|title=Chauhan Satta Ka Vikash: Vasudev Se Arnoraj Tak Chauhan Vansh|url=https://books.google.com/books?id=UE5mDwAAQBAJ&pg=PA163|date=10 August 2018|publisher=Educreation Publishing|pages=163–|id=GGKEY:JQFN65GJNS6}}</ref> अलबरूनी ने इनका ज़िक्र [[चांडाल]] समुदाय के भाग के रूप में किया है जिसमें इनके साथ डोम, चंडाल, बधाथु का उल्लेख है। कुछ विद्वानों ने यह भी साबित करने का प्रयास किया है कि ये निम्नतम स्तर पर मानी जाने वाली जातियाँ हमेशा से ऐसी नहीं रहीं, उदाहरणार्थ एक लेखक ने [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] के हवाले से लिखा है, "मुसलमान आगमन के अव्यवहित पूर्वकाल में डोम-हाडीबाल्मिकि ,लालबेगी या हलखोर इत्यादि जातियाँ काफी संपन्न और शक्तिशाली थीं।"<ref name="Sharma2018">{{cite book|author=राजमणि शर्मा|title=Hindi Sahityetihas Ke Kuchhek Jwalant Prashn|url=https://books.google.com/books?id=wnxHDwAAQBAJ&pg=PA38|date=9 जनवरी 2018|publisher=वाणी प्रकाशन|isbn=978-93-87648-46-3|pages=38–}}</ref>
 
वर्तमान में इन्हें कई राज्यों में [[अनुसूचित जाति]] का दर्जा प्राप्त है जैसे [[उत्तर प्रदेश]] में मेहतर "हरी" अथवा "हरि" के उपनाम लिखने वालों को<ref name="Shastri">{{cite book|author=Vijay Sonkar Shastri|title=Hindu Valmiki Jati|url=https://books.google.com/books?id=IEVqCwAAQBAJ&pg=PA70|isbn=978-93-5048-566-8|pages=70–}}</ref>; कुछ इलाकों में नाडिया और हाडी का उल्लेख एक साथ है<ref>{{cite journal |last1=Nayak |first1=Vijay |last2=Prasad |first2=Shailaja |title=On Levels of Living of Scheduled Castes and Scheduled Tribes |journal=Economic and Political Weekly |date=1984 |volume=19 |issue=30 |pages=1205–1213 |url=https://www.jstor.org/stable/4373471 |accessdate=20 नवम्बर 2018}}</ref>; बिहार झारखण्ड बंगाल में हाडी अथवा हरि<ref>[http://planningcommission.nic.in/reports/sereport/ser/ser_bihar2807.pdf Circular issued by the Government of Bihar (1999)], as cited by Deshkal Society.</ref> उपनाम लिखने वालों के रूप में।
 
==इन्हें भी देखें==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/हाडी" से प्राप्त