इस राशि के जातकों की [[वाणी]] और [[चाल]] में [[शालीनता]] पायी जाती है। इस राशि वाले जातक [[सुगठित]] शरीर के मालिक होते हैं।[[नॄत्य]] करना इनकी आदत होती है,हैं |अधिकतर इस राशि वाले या तो बिलकुल स्वस्थ रहते है, या फ़िर आजीवन बीमार रहते हैं, जिस [[वारावरण]] में इनको रहना चाहिये, अगर वह न मिले, इनके [[अभिमान]] को कोई [[ठेस]] पहुंचाये, या इनके [[प्रेम]] मेम कोई बाधा आये, तो यह लोग अपने [[मानसिक]] कारणों से बीमार रहने लगते है, इनके लिये [[भदावरी ज्योतिष]] की यह कहावत पूर्ण रूप से खरी उतरती है, कि [[मन]] से [[तन]] जुडा है, और जब [[मन]] बीमार होगा तो उसका प्रभाव [[तन]] पर पडेगा, अधिकतर इस राशि के लोग [[रीढ]] की हड्डी की बीमारी या चोटों से अपने जीवन को खतरे में डाल लेते हैं, और इस हड्डी का प्रभाव सम्पूर्ण शरीर पर होने से, चोट अथवा बीमारी से शरीर का वही भाग निष्क्रिय हो जाता है, जिस भाग में [[रीढ]] की हड्डी बाधित होती है। वैसे इस राशि के लोगों के लिये [[ह्रदय रोग]],[[धडकन]] का तेज होना,[[लू]] लगना, और [[संधिवात]] [[ज्वर]] होना आदि.