"पृथ्वीराज चौहान": अवतरणों में अंतर
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'''पृथ्वीराज चौहान''' ({{IPA audio link|भारतेश्वरः पृथ्वीराजः चौहानः.wav}}) ({{lang-sa|भारतेश्वरः पृथ्वीराजः}}, {{lang-en|Prithviraj Chavhan}}) (सन् 1178-1192) [[चौहान वंश]] के [[हिंदू]]
उसके पश्चात् अनेक लघु और मध्यम युद्ध पृथ्वीराज के और घोरी के मध्य हुए।विभिन्न ग्रन्थों में जो युद्ध सङ्ख्याएं मिलती है, वे सङ्ख्या ७, १७, २१ और २८ हैं। सभी युद्धों में पृथ्वीराज ने घोरी को बन्दी बनाया और उसको छोड़ दिया। परन्तु अन्तिम बार नरायन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को रात के अंधेरे में छल कपट से बंदी बना लिया , पश्चात् घोरी ने पृथ्वीराज को कुछ दिनों तक '[[इस्लाम|इस्लाम्]]'-धर्म का अङ्गीकार करवाने का प्रयास करता रहा। उस प्रयोस में पृथ्वीराज को शारीरक पीडाएँ दी गई। शरीरिक यातना देने के समय घोरी ने पृथ्वीराज को अन्धा कर दिया। अन्ध पृथ्वीराज ने अपने मित्र चंदरबरदई के साथ मिलकर गोरी का वध करने की योजना बनाई,योजना के तहत हिन्दू हृदय सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी विद्या से तीर छोड़कर मोहम्मद गोरी की हत्या कर दी । <poem>{{cquote|एक एव सुहृद्धर्मो निधनेऽप्यनुयाति यः।
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