"ललित कला": अवतरणों में अंतर
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इसके बाद पात्रप्रवेश होता है, प्रवेश तरु गाए जाते हैं। तंचावूर जिला के मेरटूर, उल्लुक्काडु, शूलमंगलम् शालियमंगलम् आदि जगहों में यह नृत्यपद्धति प्रचलित है। आंध्रप्रदेश के कूचिपुडी नामक गाँव में भी नरसिंह जयंती महोत्सव के समय यह नृत्य होता है।
=== सदिरललिततभगोरा ===
इसका नर्तन प्राय: एक अथवा दो स्त्री पात्रों द्वारा होता है। यह नर्तन पहले प्राय: देवदासियों से ही कराया जाता था।
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