"मोहन राकेश": अवतरणों में अंतर

2405:205:2282:1CF7:A8F8:7919:E43E:3F26 (वार्ता) द्वारा किए बदलाव 3408514 को पूर्...
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 22:
मोहन राकेश के दो नाटकों आषाढ़ का एक दिन तथा लहरों के राजहंस में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को लेने पर भी आधुनिक मनुष्य के अंतर्द्वंद और संशयों की ही गाथा कही गयी है। एक नाटक की पृष्ठभूमि जहां गुप्तकाल है तो दूसरा बौद्धकाल के समय के ऊपर लिखा गया है। आषाढ़ का एक दिन में जहां सफलता और प्रेम में एक को चुनने के द्वन्द से जूझते कालिदास एक रचनाकार और एक आधुनिक मनुष्य के मन की पहेलियों को सामने रखते हैं वहीँ प्रेम में टूटकर भी प्रेम को नही टूटने देनेवाली इस नाटक की नायिका के रूप में हिंदी साहित्य को एक अविस्मरनीय पात्र मिला है।
लहरों के राजहंस में और भी जटिल प्रश्नों को उठाते हुए जीवन की सार्थकता, भौतिक जीवन और अध्यात्मिक जीवन के द्वन्द, दूसरों के द्वारा अपने मत को दुनिया पर थोपने का आग्रह जैसे विषय उठाये गए हैं। राकेश के नाटकों को रंगमंच पर मिली शानदार सफलता इस बात का गवाह बनी कि नाटक और रंगमंच के बीच कोई खाई नही है।
मोहन राकेश का तीसरा व सबसे लोकप्रिय नाटक आधे अधूरे है । जहाँ नाटककार ने मध्यवर्गीय परिवार की दमित इच्छाओ कुंठाओ व विसंगतियो को दर्शाया है । इस नाटक की पृष्ठभूमि एतिहासिक न होकर आधुनिक मध्यवर्गीय समाज है । आधे अधूरे मे वर्तमान जीवन के टूटते हुए संबंधो ,मध्यवर्गीय परिवार के कलहपुर्ण वातावरण विघटन ,सन्त्रास ,व्यक्ति के आधे अधूरे व्यक्तित्व तथा अस्तित्व का यथात्मक सजीव चित्रण हुआ है ।
मोहन राकेश का यह नाटक , अनिता औलक की कहनी दिन से दिन का नाट्यरुपांतरण है ।
 
== प्रमुख कृतियाँ ==