"ऊष्मा": अवतरणों में अंतर

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[[File:171879main_LimbFlareJan12_lg.jpg|thumb|right|300px|यह [[सूरज]] की ऊष्मा है।]]
इस उपशाखा में ऊष्मा ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते हैं। '''ऊष्मा''' (heat) या '''ऊष्मीय ऊर्जा''' (heat energy), [[ऊर्जा]] का एक रूप है जो [[ताप]] के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं।
 
ऊष्मा,एक वस्तु से दूसरी वस्तु में कुछ प्रकार के ऊष्मीय अन्तर्क्रियाओं (thermal interactions) के द्वारा स्थानान्तरित होती है। उदाहरण के लिए अधिक [[ताप]] वाली कोई लोहे की छड़ पानी में डाली जाय तो छड़ से जल में ऊष्मीय ऊर्जा का स्थानान्तरण होगा। पूरे ब्रह्माण्ड में ऊष्मा की महती भूमिका है। उष्मा की प्रकृति का अध्ययन तथा पदार्थों पर उसका प्रभाव जितना मानव हित से संबंधित है उतना कदाचित् और कोई वैज्ञानिक विषय नहीं। उष्मा से प्राणिमात्र का [[भोजन]] बनता है। वसन्त ऋतु के आगमन पर उष्मा के प्रभाव से ही कली खिलकर फूल हो जाती है तथा वनस्पति क्षेत्र में एक नए जीवन का संचार होता है। इसी के प्रभाव से अंडे से बच्चा बनता है। इन कारणों से यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि पुरातन काल में इस बलवान्, प्रभावशील तथा उपयोगी अभिकर्ता से मानव प्रभावित हुआ तथा उसकी पूजा-अर्चना करने लगा। कदाचित् इसी कारण मानव ने [[सूर्य]] की पूजा की। पृथ्वी पर उष्मा के लगभग संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रभावों का स्रोत सूर्य है। [[कोयला]], और [[पेट्रोलियम]], जिनसे हमें उष्मा प्राप्त होती है, प्राचीन युगों से संचित धूप का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऊष्मा, [[भौतिकी]] की एक महत्वपूर्ण उपशाखा है जिसमें ऊष्मा, ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए [[तापमापी]] बनाए जाते हैं।
 
== तापमान ==
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ऊष्मा के प्रभाव से पदार्थ में कई बदलाव आते हैं जो यदा कदा स्थाई होते है और कभी-कभी अस्थाई।
* ऊष्मीय प्रसार - गर्म करने पर ठोस, द्रव या गैस के आकार में विस्तार होता है। पर वापस ठंढा करने पर ये प्रायः उसी स्वरूप में आ जाते हैं। इस कारण से इनके घनत्व में भी बदलाव आता है।
 
* '''अवस्था में परिवर्तन''' - [[ठोस]] अपने द्रवानांक पर [[द्रव]] बन जाते हैं तथा अपने [[क्वथनांक]] पर द्रव [[गैस]] बन जाते हैं। यह क्वथनांक तथा द्रवनांक ठोस तथा द्रव के कुल दाब पर निर्भर करता है। कुल दाब के बढ़ने से क्वथनांक तथा द्रवनांक भी बढ़ जाते हैं।
 
* '''विद्युतीय गुणों में परिवर्तन''' - तापमान बढाने पर यानि गर्म करने पर किसी वस्तु की प्रतिरोधक क्षमता (Resistivity) जैसे गुणों में परिवर्तन आता है। कई [[डायोड]] तथा [[ट्रांज़िस्टर]] उच्च तापमान पर काम करना बंद कर देते हैं।
 
* '''रसायनिक परिवर्तन''' - कई अभिक्रियाएं तापमान के बढ़ाने से तेज हो जाती हैं। उदाहरण स्वरूप 840<sup>0</sup>C पर [[चूनापत्थर]] का विखंडन -
CaCO<sub>3</sub> → CaO + CO<sub>2</sub>
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== इन्हें भी देखें ==
* [[उष्मागतिकी]]
* [[ऊष्मागतिकी के सिद्धान्त]]
 
[[श्रेणी:भौतिकीऊष्मा]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ऊष्मा" से प्राप्त