"करणपद्धति": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
||
पंक्ति 3:
==अनन्त श्रेणीयाँ==
करणपद्धति का ६ठा अध्याय गणितीय दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस अध्याय में [[पाई
===π के लिए श्रेणी===
पंक्ति 31:
निम्नलिखित श्लोक में '''π''' के लिए एक तीसरी श्रेणी वर्णित है-
: ''वर्गैर्युजां वा द्विगुणैर्निरेकैर्वर्गीकृतैर्-वर्जितयुग्मवर्गैः
Line 39 ⟶ 38:
: π = 3 + 6 { 1 / ( (2 × 2<sup>2</sup> - 1 )<sup>2</sup> - 2<sup>2</sup> ) + 1 / ( (2 × 4<sup>2</sup> - 1 )<sup>2</sup> - 4<sup>2</sup> ) + 1 / ( (2 × 6<sup>2</sup> - 1 )<sup>2</sup> - 6<sup>2</sup> ) + ... }
===त्रिकोणमितीय फलनों के लिए अनन्त श्रेणियाँ===
Line 61 ⟶ 59:
इसका गणितीय रूप से लेखन इस प्रकार कर सकते हैं-
: tan<sup>−1</sup> x = x - x<sup>3</sup> / 3 + x<sup>5</sup> / 5 - ...
==बाहरी कड़ियाँ==
|