"करणपद्धति": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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पंक्ति 10:
पहली श्रेणी निम्नलिखित श्लोक में वर्णित है-
: ''व्यासाच्चतुर्घ्नाद् बहुशः
: ''व्यासे चतुर्घ्ने
इसका गणितीय रूपान्तर निम्नलिखित है-
पंक्ति 21:
एक अन्य श्रेणी इस श्लोक में वर्णित है-
: ''व्यासाद् वनसम्गुणितात्
: ''त्रिगुणव्यासे
इसको गणित की भाषा में इस प्रकार लिख सकते हैं-
पंक्ति 32:
निम्नलिखित श्लोक में '''π''' के लिए एक तीसरी श्रेणी वर्णित है-
: ''वर्गैर्युजां
: ''व्यासं च षड्घनं विभजेत् फलं स्वं व्यासे त्रिनीघ्ने परिधिस्तदा स्यात॥
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