"जादू (भ्रमजाल/इंद्रजाल)": अवतरणों में अंतर

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परम्परागत रूप से, जादूगर अपने जादूई कारनामे के लिए इस्तेमाल में आनेवाली युक्तियों के विषय में दर्शकों को बताने से इन्कार कर देते हैं। इसे राज़ बनाकर रखने के निम्नलिखित कारण हैं:
* कहा जाता है कि युक्ति को उजागर करने से जादू खत्म हो जाता है और यह मात्र बौद्धिक पहेली या पेचीदा समस्या बन कर रह जाती है। {{Citation needed|date=Decemberदिसम्बर 2009}} इस बात का तर्क दिया जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को इस युक्ति का राज़ बता दिया जाए तो वह अगले जादूई प्रदर्शन का पूरा आनंद नहीं उठा पाएगा क्योंकि उसमें विस्मय और रोमांच नहीं बचेगा.{{Citation needed|date=Decemberदिसम्बर 2009}} कभी-कभी जादू का राज़ इतना सामान्य होता है कि अगर पता चल जाए कि यह इतना आसान है तो दर्शक इसे महत्वहीन मानते हैं और निराश हो जाते हैं।{{Citation needed|date=Decemberदिसम्बर 2009}}
* जादू के राज़ को राज़ बनाए रखना जादूगर के व्यवसाय का रहस्य-रोमांच बनाए रखता है।
 
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| journal = The Linking Ring
| publisher = The International Brotherhood of Magicians
|date=Novemberनवम्बर 2000}}</ref>
जादू सिखाना किसी समय एक गोपनीय कार्य हुआ करता था।{{Citation needed|date=Marchमार्च 2009}} समाज को या आम जनता को जादू के राज़ जानने से रोकने के लिये पेशेवर{{Citation needed|date=Marchमार्च 2009}} जादूगर ऐसे किसी भी व्यक्ति को अपना ज्ञान नहीं बांटना चाहते थे जो इस पेशे में नहीं हो। इससे प्राय: किसी ऐसे इच्छुक प्रशिक्षु को जादू की आधारभूत बातें सीखने में मुश्किलें आती हैं। स्थापित जादूगरों के अतिरिक्त अन्य जादूगरों के लिए जादू के रहस्य दूसरों पर उजागर करने से निषेध संबंधी सख्त नियम हैं।
184 से रेजिनॉल्ड स्कॉट की पुस्तक ''डिस्कवरी ऑफ विचक्राफ्ट'' का प्रकाशन 19वीं शताब्दी के अंत तक होता रहा, लेकिन तब जादूगरों को इस कला को सीखने के लिए मात्र कुछ पुस्तकें उपलब्ध थीं, जबकि आज बाजार में इससे संबंधित अनेकों पुस्तकें उपलब्ध हैं। वीडियो और डीवीडी शिक्षा के नए माध्यम हैं, लेकिन इन रूपों में उपलब्ध जादूई तरीकों में से अनेक पहले की किताबों से लिए गए हैं। फिर भी, उनमें दृश्य माध्यम में प्रदर्शन और व्याख्या होते हैं।