"जैन धर्म": अवतरणों में अंतर

जय जिनेन्द्र
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#[[अहिंसा]] - किसी भी [[जीव]] को मन, वचन, काय से पीड़ा नहीं पहुँचाना। किसी जीव के प्राणों का घात नहीं करना।
#[[सत्य]] - हित, मित, प्रिय वचन बोलना।
#[[अस्तेय]] - बिनाdkfdidiei दी हुई वस्तु को ग्रहण नहीं करना।
#[[ब्रह्मचर्य]] - मन, वचन, काय से मैथुन कर्म का त्याग करना।
#[[अपरिग्रह]]- पदार्थों के प्रति ममत्वरूप परिणमन का बुद्धिपूर्वक त्याग।{{Sfn|जैन|२०११|p=९३}}