"राम": अवतरणों में अंतर

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| siblings = [[भरत]], [[लक्ष्मण]], [[शत्रुघ्न]]
|पिता=महाराज दशरथ}}
''[http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html भगवान श्री राम]'' (रामचन्द्र) प्राचीन [[भारत]] में अवतार रूपी [[भगवान]] के रूप में मान्य हैं। [[हिन्दू]] [[धर्म]] में राम [[विष्णु]] के दस [[अवतार|अवतारों]] में से सातवें अवतार हैं। भगवान श्री [http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html राम] जी का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि [[वाल्मीकि]] द्वारा रचित [[संस्कृत]] महाकाव्य [[रामायण]] के रूप में वर्णित हुआ है। गोस्वामी [[तुलसीदास]] जी ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य श्री [[रामचरितमानस]] जी की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएं हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। खास तौर पर उत्तर भारत में भगवान श्री राम जी अत्यंत पूज्यनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं। इन्हें पुरुषोत्तम शब्द से भी अलंकृत किया जाता है।
 
भगवान श्री [http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html राम] जी, [[अयोध्या]] के राजा [[दशरथ]] और रानी [[कौशल्या]] के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम [[सीता]] था (जो [[लक्ष्मी]] का अवतार मानी जाती हैं) और इनके तीन भाई थे- [[लक्ष्मण]], [[भरत (रामायण)|भरत]] और [[शत्रुघ्न]]। [[हनुमान]], भगवान राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। भगवान श्री राम जी ने लंका के राजा [[रावण]] (जो अधर्म का पथ अपना लिया था) का वध किया।
 
भगवान श्री राम जी की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहाँ तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा '''प्रान जाहुँ बरु बचनु न जाई'''<ref> श्रीरामचरितमानस (सटीक)-2-28-2; गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण-1999ई०।</ref> की थी। श्रीराम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता [[कैकेयी]] को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने दासी [[मन्थरा]] के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र [[भरत]] के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का [[वनवास]] माँगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी [[सीता]] ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन जाना उचित समझा। भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में बिताए। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊँ) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। जब राम वनवासी थे तभी उनकी पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम ने [[वानरों]] की मदद से सीता को ढूँढ़ा। समुद्र में पुल बना कर लंका पहुँचे तथा रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता को वापस लाये। राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को '''रामराज्य''' की उपमा देते हैं। इनके दो पुत्रों [[कुश]] व [[लव]] ने इनके राज्यों को सँभाला।
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== नाम-व्युत्पत्ति एवं अर्थ ==
'रम्' धातु में 'घञ्' प्रत्यय के योग से '[http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html राम]' शब्द निष्पन्न होता है।<ref>संस्कृत-हिन्दी कोश, वामन शिवराम आप्टे।</ref> 'रम्' धातु का अर्थ रमण (निवास, विहार) करने से सम्बद्ध है। वे प्राणीमात्र के हृदय में 'रमण' (निवास) करते हैं, इसलिए '[http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html राम]' हैं तथा भक्तजन उनमें 'रमण' करते (ध्याननिष्ठ होते) हैं, इसलिए भी वे 'राम' हैं। '[[विष्णुसहस्रनाम]]' पर लिखित अपने भाष्य में आद्य [[शंकराचार्य]] ने [[पद्मपुराण]] का हवाला देते हुए कहा है कि ''नित्यानन्दस्वरूप [http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html भगवान्] में योगिजन रमण करते हैं, इसलिए वे 'राम' हैं।''<ref>श्रीविष्णुसहस्रनाम, सानुवाद शांकर भाष्य सहित, गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण-1999, पृष्ठ-143.</ref>
 
== अवतार रूप में प्राचीनता ==
[[वैदिक साहित्य]] में '[http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html राम]' का उल्लेख प्रचलित रूप में नहीं मिलता है। [[ऋग्वेद]] में केवल दो स्थलों पर ही '[http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html राम]' शब्द का प्रयोग हुआ है<ref>ऋग्वेद पदानां अकारादि वर्णक्रमानुक्रमणिका, संपादक- स्वामी विश्वेश्वरानंद एवं नित्यानंद, निर्णय सागर प्रेस, मुंबई, संस्करण-1908, पृ०-348.</ref> (१०-३-३ तथा १०-९३-१४)। उनमें से भी एक जगह काले रंग (रात के अंधकार) के अर्थ में<ref>ऋग्वेदसंहिता (श्रीसायणाचार्य कृत भाष्य एवं भाष्यानुवाद सहित) भाग-5, चौखम्बा कृष्णदास अकादमी, वाराणसी, संस्करण-2013, पृष्ठ-3892.</ref> तथा शेष एक जगह ही व्यक्ति के अर्थ में प्रयोग हुआ है<ref>ऋग्वेदसंहिता (श्रीसायणाचार्य कृत भाष्य एवं भाष्यानुवाद सहित) भाग-5, चौखम्बा कृष्णदास अकादमी, वाराणसी, संस्करण-2013, पृष्ठ-4406.</ref>; लेकिन वहाँ भी उनके अवतारी पुरुष या [http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html दशरथ-पुत्र] होने का कोई संकेत नहीं है। यद्यपि [[नीलकंठ चतुर्धर]] ने ऋग्वेद के अनेक मन्त्रों को स्वविवेक से चुनकर उनके रामकथापरक अर्थ किये हैं, परन्तु यह उनकी निजी मान्यता है। स्वयं ऋग्वेद के उन प्रकरणों में प्राप्त किसी संकेत या किसी अन्य भाष्यकार के द्वारा उन मंत्रों का रामकथापरक अर्थ सिद्ध नहीं हो पाया है। ऋग्वेद में एक स्थल पर 'इक्ष्वाकुः' (१०-६०-४) का<ref>ऋग्वेद पदानां अकारादि वर्णक्रमानुक्रमणिका, संपादक- स्वामी विश्वेश्वरानंद एवं नित्यानंद, निर्णय सागर प्रेस, मुंबई, संस्करण-1908, पृ०-79.</ref> तथा एक स्थल पर<ref>वैदिक-पदानुक्रम-कोषः, संहिता विभाग, तृतीय खण्ड, संपादक- विश्वबन्धु शास्त्री, विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध संस्थान, होशिआरपुर, संस्करण-1956, पृष्ठ-1550; एवं ऋग्वेद पदानां अकारादि वर्णक्रमानुक्रमणिका, संपादक- स्वामी विश्वेश्वरानंद एवं नित्यानंद, निर्णय सागर प्रेस, मुंबई, संस्करण-1908, पृ०-195.</ref> 'दशरथ' (१-१२६-४) शब्द का भी प्रयोग हुआ है। परन्तु उनके [http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html राम] से सम्बद्ध होने का कोई संकेत नहीं मिल पाता है।<ref>हिन्दी साहित्य कोश, भाग-2, संपादक- डॉ० धीरेंद्र वर्मा एवं अन्य, ज्ञानमंडल लिमिटेड, वाराणसी, संस्करण-2011, पृष्ठ-497.</ref>
 
ब्राह्मण साहित्य में '[http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html राम]' शब्द का प्रयोग [[ऐतरेय ब्राह्मण]] में दो स्थलों पर<ref name="अ">वैदिक-पदानुक्रमकोषः, ब्राह्मण-आरण्यक विभाग, द्वितीय खण्ड, विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध संस्थान, लवपुर, संस्करण-1936, पृष्ठ-852.</ref> (७-५-१{=७-२७} तथा ७-५-८{=७-३४})हुआ है; परन्तु वहाँ उन्हें 'रामो मार्गवेयः' कहा गया है, जिसका अर्थ आचार्य सायण के अनुसार 'मृगवु' नामक स्त्री का पुत्र है।<ref>ऐतरेयब्राह्मणम् (सायण भाष्य एवं हिन्दी अनुवाद सहित) भाग-2, संपादक एवं अनुवादक- डॉ० सुधाकर मालवीय, तारा प्रिंटिंग वर्क्स, वाराणसी, संस्करण-1983, पृष्ठ-1201.</ref> [[शतपथ ब्राह्मण]] में एक स्थल पर<ref name="अ" /> 'राम' शब्द का प्रयोग हुआ है (४-६-१-७)। यहाँ 'राम' यज्ञ के आचार्य के रूप में है तथा उन्हें 'राम औपतपस्विनि' कहा गया है।<ref>शतपथब्राह्मण (सटीक), भाग-1, विजयकुमार गोविंदराम हासानंद, दिल्ली, संस्करण-2010, पृष्ठ-657.</ref> तात्पर्य यह कि प्रचलित राम का अवतारी रूप [[वाल्मीकि रामायण|वाल्मीकीय रामायण]] एवं [[पुराण|पुराणों]] की ही देन है।
 
== जन्म ==
[[File:The Birth of rama.jpg |thumb|श्री राम-जन्म, अकबर की रामायण से ]]
 
[http://www.maabharati.com/2018/11/lord-rama-death.html रामकथा] से सम्बद्ध सर्वाधिक प्रमाणभूत ग्रन्थ आदिकाव्य वाल्मीकीय रामायण में राम-जन्म के सम्बन्ध में निम्नलिखित वर्णन उपलब्ध है:-
 
'''...................... चैत्रे नावमिके तिथौ।।'''
"https://hi.wikipedia.org/wiki/राम" से प्राप्त