"गंगा नदी": अवतरणों में अंतर

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| image_caption = मुंशी घाट [[वाराणसी]] में गंगा
}}
'''गंगा''' ( {{lang-sa|गङ्गा}} ; {{lang-bn|গঙ্গা}} ) [[भारत]] की सबसे महत्त्वपूर्ण [[नदी]] है। यह [[भारत]] और [[बांग्लादेश]] में कुल मिलाकर 2525२,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई [[उत्तराखण्ड]] में [[हिमालय]] से लेकर [[बंगाल की खाड़ी]] के [[सुन्दरवन राष्ट्रीय उद्यान|सुन्दरवन]] तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। 2071२,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद [[बांग्लादेश]] में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। 100१०० फीट (31३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना [[माँ]] तथा [[देवी]] के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित '''गंगा नदी''' के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं।
 
इस नदी में [[मछली|मछलियों]] तथा [[सर्प|सर्पों]] की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ [[गंगा डाल्फ़िन|डॉलफिन]] भी पाये जाते हैं। यह [[कृषि]], [[पर्यटन]], साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं{{cn}} कि इस नदी के जल में [[बैक्टीरियोफेज]] नामक [[विषाणु]] होते हैं, जो [[जीवाणु|जीवाणुओं]] व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में [[नवंबर|नवम्बर]],[[२००८|2008]] में [[भारत सरकार]] द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी<ref>{{cite web |url= http://www.bihartodayonline.com/2008/11/jagran-yahoo-report_04.html|title= गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी |access-date=[[नवंबर]] [[२००८]]|format= एचटीएम|publisher= बिहार टुडे|language=}}</ref><ref>{{cite web |url= http://www.voanews.com/hindi/archive/2008-11/2008-11-04-voa24.cfm|title= गंगा -भारत की राष्ट्रीय नदी |access-date=[[४ नवंबर]] [[२००८]]|format= एचटीएम|publisher= वॉयस ऑफ अमेरिका|language=}}</ref> तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (1600१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है।<ref>{{cite book |last= |first=|title= समकालीन भारत |year=अप्रैल २००३ |publisher=राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद |location=नई दिल्ली |id= |page=२४७-२४८ |access-date= २३ जून २००९}}</ref>
 
== उद्गम ==
{{main|गंगोत्री}}
[[चित्र:Bhagirathi River at Gangotri.JPG|thumb|256px|left|[[भागीरथी]] नदी, [[गंगोत्री]] में]]
गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है जो कुमायूँ में हिमालय के गौमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद(GURUKUL) से निकलती हैं।<ref name="टीडीआईएल"/> गंगा के इस उद्गम स्थल की ऊँचाई 3140३१४० मीटर है। यहाँ गंगा जी को समर्पित एक मंदिर है। [[गंगोत्री]] तीर्थ, शहर से 19१९ कि॰मी॰ उत्तर की ओर 3892३८९२ मी॰ (12770१२,७७० फीट) की ऊँचाई पर इस हिमनद का मुख है। यह हिमनद 25२५ कि॰मी॰ लम्बा व 4 कि॰मी॰ चौड़ा और लगभग 40४० मीटर ऊँचा है। इसी ग्लेशियर से भागीरथी एक छोटे से गुफानुमा मुख पर अवतरित होती हैं। इसका जल स्रोत 5000५००० मीटर ऊँचाई पर स्थित एक घाटी है। इस घाटी का मूल पश्चिमी ढलान की सन्तोपन्थ की चोटियों में है। गौमुख के रास्ते में 3600३६०० मीटर ऊँचे चिरबासा ग्राम से विशाल गौमुख हिमनद के दर्शन होते हैं।<ref name="गंगोत्री">{{cite web |url= http://210.212.78.56/50cities/gangotri/hindi/home.asp|title= गंगोत्री|access-date=[[१४ जून]] [[२००९]]|format= एचटीएम|publisher= उत्तराखंड सरकार|language=}}</ref> इस हिमनद में [[नंदा देवी|नन्दा देवी]], [[कामत पर्वत]] एवं [[त्रिशूल पर्वत]] का हिम पिघल कर आता है। यद्यपि गंगा के आकार लेने में अनेक छोटी धाराओं का योगदान है, लेकिन 6 बड़ी और उनकी सहायक 5 छोटी धाराओं का भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्त्व अधिक है। [[अलकनंदा|अलकनन्दा]] की सहायक नदी [[धौली]], [[विष्णु गंगा]] तथा [[मंदाकिनी|मन्दाकिनी]] है। [[धौली|धौली गंगा]] का [[अलकनंदा|अलकनन्दा]] से [[विष्णु प्रयाग]] में संगम होता है। यह 1372१३७२ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। फिर 2805२८०५ मीटर ऊँचे [[नंद प्रयाग|नन्द प्रयाग]] में अलकनन्दा का [[नंदाकिनी नदी|नन्दाकिनी नदी]] से संगम होता है। इसके बाद [[कर्ण प्रयाग]] में अलकनन्दा का कर्ण गंगा या पिंडर नदी से संगम होता है। फिर [[ऋषिकेश]] से 139१३९ कि॰मी॰ दूर स्थित [[रुद्र प्रयाग]] में अलकनन्दा [[मंदाकिनी|मन्दाकिनी]] से मिलती है। इसके बाद भागीरथी व अलकनन्दा 1500१५०० फीट पर स्थित [[देव प्रयाग]] में संगम करती हैं यहाँ से यह सम्मिलित जल-धारा गंगा नदी के नाम से आगे प्रवाहित होती है। इन पाँच प्रयागों को सम्मिलित रूप से [[पंच प्रयाग]] कहा जाता है।<ref name="टीडीआईएल">{{cite web |url= http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/utrn0078.htm|title= उत्तरांचल-एक परिचय|access-date=[[२८ अप्रैल]] [[2008]]|format= एचटीएम|publisher= टीडीआईएल|language=}}</ref> इस प्रकार 200२०० कि॰मी॰ का सँकरा पहाड़ी रास्ता तय करके गंगा नदी [[ऋषिकेश]] होते हुए प्रथम बार मैदानों का स्पर्श [[हरिद्वार]] में करती हैं।
 
==गंगा का मैदान==
{{main|सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान}}
[[चित्र:NorthIndiaCircuit 250.jpg|thumb|256px|[[प्रयाग|त्रिवेणी-संगम]], [[इलाहाबाद|प्रयाग]]]]
हरिद्वार से लगभग 800८०० कि॰मी॰ मैदानी यात्रा करते हुए [[गढ़मुक्तेश्वर]], सोरों, [[फर्रुखाबाद]], [[कन्नौज]], [[बिठूर]], [[कानपुर]] होते हुए गंगा [[इलाहाबाद]] (प्रयाग) पहुँचती है। यहाँ इसका संगम [[यमुना]] नदी से होता है। यह संगम स्थल हिन्दुओं का एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ है। इसे तीर्थराज प्रयाग कहा जाता है। इसके बाद हिन्दू धर्म की प्रमुख मोक्षदायिनी नगरी [[काशी]] ([[वाराणसी]]) में गंगा एक वक्र लेती है, जिससे यहाँ उत्तरवाहिनी कहलाती है। यहाँ से [[मीरजापुर]], [[पटना]], [[भागलपुर]] होते हुए [[पाकुर]] पहुँचती है। इस बीच इसमें बहुत-सी सहायक नदियाँ, जैसे [[सोन]], [[गंडक|गण्डक]], [[घाघरा]], [[कोसी]] आदि मिल जाती हैं। [[भागलपुर]] में [[राजमहल]] की पहाड़ियों से यह दक्षिणवर्ती होती है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के गिरिया स्थान के पास गंगा नदी दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है— भागीरथी और पद्मा। भागीरथी नदी गिरिया से दक्षिण की ओर बहने लगती है जबकि पद्मा नदी दक्षिण-पूर्व की ओर बहती [[फरक्का बैराज]] ([[१९७४|1974]] निर्मित) से छनते हुई बंग्ला देश में प्रवेश करती है। यहाँ से गंगा का डेल्टाई भाग शुरू हो जाता है। मुर्शिदाबाद शहर से हुगली शहर तक गंगा का नाम भागीरथी नदी तथा हुगली शहर से मुहाने तक गंगा का नाम हुगली नदी है। गंगा का यह मैदान मूलत: एक भू-अभिनति गर्त है जिसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में लगभग 3-4 करोड़ वर्ष पहले हुआ था। तब से इसे हिमालय और प्रायद्वीप से निकलने वाली नदियाँ अपने साथ लाये हुए अवसादों से पाट रही हैं। इन मैदानों में जलोढ़ की औसत गहराई 1000१००० से 2000२००० मीटर है। इस मैदान में नदी की प्रौढ़ावस्था में बनने वाली अपरदनी और निक्षेपण स्थलाकृतियाँ, जैसे— बालू-रोधका, विसर्प, गोखुर झीलें और गुम्फित नदियाँ पायी जाती हैं।<ref>{{cite web |url= http://vimi.wordpress.com/2009/02/22/bharat_sanrachana/|title=भारत की भौतिक संरचना|access-date=[[22 जून]] [[२००९]]|format=|publisher=पर्यावरण के विभिन्न घटक|language=}}</ref>
 
गंगा की इस घाटी में एक ऐसी सभ्यता का उद्भव और विकास हुआ जिसका प्राचीन इतिहास अत्यन्त गौरवमयी व वैभवशाली है। जहाँ ज्ञान, धर्म, अध्यात्म व सभ्यता-संस्कृति की ऐसी किरण प्रस्फुटित हुई जिससे न केवल भारत, बल्कि समस्त संसार आलोकित हुआ। पाषाण या प्रस्तर युग का जन्म और विकास यहाँ होने के अनेक साक्ष्य मिले हैं। इसी घाटी में [[रामायण]] और [[महाभारत]] कालीन युग का उद्भव और विलय हुआ। [[शतपथ ब्राह्मण]], [[पंचविश ब्राह्मण]], [[गौपथ ब्राह्मण]], [[ऐतरेय आरण्यक]], [[कौशितकी आरण्यक]], [[सांख्यायन आरण्यक]], [[वाजसनेयी संहिता]] और [[महाभारत]] इत्यादि में वर्णित घटनाओं से उत्तर वैदिककालीन गंगा घाटी की जानकारी मिलती है। प्राचीन [[मगध महाजनपद]] का उद्भव गंगा घाटी में ही हुआ, जहाँ से गणराज्यों की परम्परा विश्व में पहली बार प्रारम्भ हुई। यहीं भारत का वह स्वर्ण युग विकसित हुआ जब [[मौर्य वंश|मौर्य]] और [[गुप्त वंश|गुप्त]] वंशीय राजाओं ने यहाँ शासन किया।<ref>{{cite web |url=http://www.mithilavihar.com/mithilaStatic/bihar-prAcIn_itihAs1.jsp|title= बिहार का इतिहास (प्राचीन बिहार)
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==सुंदरवन डेल्टा==
{{main|सुन्दरवन}}
[[चित्र:Sundarbans.jpg|thumb|256px|[[सुंदरवन]]-विश्व का सबसे बड़ा [[डेल्टा]]-गंगा का मुहाना-[[बंगाल की खाड़ी]] में]] हुगली नदी [[कोलकाता]], [[हावड़ा]] होते हुए सुन्दरवन के भारतीय भाग में सागर से संगम करती है। पद्मा में [[ब्रह्मपुत्र]] से निकली शाखा नदी [[जमुना नदी]] एवम् [[मेघना नदी]] मिलती हैं। अंततः ये 350३५० कि॰मी॰ चौड़े [[सुन्दरवन]] [[डेल्टा]] में जाकर [[बंगाल की खाड़ी]] में सागर संगम करती है। यह डेल्टा गंगा एवम् उसकी सहायक नदियों द्वारा लायी गयी नवीन जलोढ़ से 1000१,००० वर्षों में निर्मित समतल तथा निम्न मैदान है। यहाँ गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम पर एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ है जिसे [[गंगासागर|गंगा-सागर-संगम]] कहते हैं।<ref name="इंडियानेट">{{cite web |url= http://www.indianetzone.com/2/ganga_river.htm|title= गंगा रिवर|access-date=[[१४ जून]] [[२००९]]|format= एचटीएम|publisher=इण्डिया नेट ज़ोन |language=अंग्रेज़ी}}</ref> विश्व का सबसे बड़ा [[डेल्टा]] ([[सुंदरवन|सुन्दरवन]]) बहुत-सी प्रसिद्ध वनस्पतियों और प्रसिद्ध [[बंगाल बाघ|बंगाल टाईगर]] का निवास स्थान है।<ref name="इंडियानेट"/> यह डेल्टा धीरे-धीरे सागर की ओर बढ़ रहा है। कुछ समय पहले कोलकाता सागर तट पर ही स्थित था और सागर का विस्तार राजमहल तथा सिलहट तक था, परन्तु अब यह तट से १५-२० मील (२४-३२ किलोमीटर) दूर स्थित लगभग १,८०,००० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। जब डेल्टा का सागर की ओर निरन्तर विस्तार होता है तो उसे प्रगतिशील डेल्टा कहते हैं।<ref>{{cite book |last=सिहं |first=सविन्द्र |title= भौतिक भूगोल |year=जुलाई २००२ |publisher=वसुन्धरा प्रकाशन |location=गोरखपुर |id= |page=२४७-२४८ |access-date= ३ जून २००९}}</ref> सुन्दरवन डेल्टा में भूमि का ढाल अत्यन्त कम होने के कारण यहाँ गंगा अत्यन्त धीमी गति से बहती है और अपने साथ लायी गयी मिट्टी को मुहाने पर जमा कर देती है, जिससे डेल्टा का आकार बढ़ता जाता है और नदी की कई धाराएँ तथा उपधाराएँ बन जाती हैं। इस प्रकार बनी हुई गंगा की प्रमुख शाखा नदियाँ [[जालंगी नदी]], [[इच्छामती नदी]], [[भैरव नदी]], [[विद्याधरी नदी]] और [[कालिन्दी नदी]] हैं। नदियों के वक्र गति से बहने के कारण दक्षिणी भाग में कई धनुषाकार झीलें बन गयी हैं। ढाल उत्तर से दक्षिण है, अतः अधिकांश नदियाँ उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हैं। ज्वार के समय इन नदियों में ज्वार का पानी भर जाने के कारण इन्हें ज्वारीय नदियाँ भी कहते हैं। डेल्टा के सुदूर दक्षिणी भाग में समुद्र का खारा पानी पहुँचने का कारण यह भाग नीचा, नमकीन एवं दलदली है तथा यहाँ आसानी से पनपने वाले मैंग्रोव जाति के वनों से भरा पड़ा है। यह डेल्टा [[चावल]] की कृषि के लिए अधिक विख्यात है। यहाँ विश्व में सबसे अधिक कच्चे [[जूट]] का उत्पादन होता है। [[कटका अभयारण्य|कटका अभ्यारण्य]] सुन्दरवन के उन इलाकों में से है जहाँ का रास्ता छोटी-छोटी नहरों से होकर गुजरता है। यहाँ बड़ी तादाद में [[सुंदरी|सुन्दरी]] पेड़ मिलते हैं जिसके कारण इन वनों का नाम सुन्दरवन पड़ा है। इसके अलावा यहाँ पर [[देवा]], [[केवड़ा]], [[तर्मजा]], [[आमलोपी]] और [[गोरान]] वृक्षों की ऐसी प्रजातियाँ हैं, जो सुन्दरवन में पायी जाती हैं। यहाँ के वनों की एक खास बात यह है कि यहाँ वही पेड़ पनपते या बच सकते हैं, जो मीठे और खारे पानी के मिश्रण में रह सकते हों।<ref>{{cite web |url= http://hindi.webdunia.com/samayik/bbchindi/bbchindi/0711/07/1071107081_1.htm|title= सुंदरवन के मुहाने पर|access-date=[[२२ जून]] [[२००९]]|format= एचटीएम|publisher=बीबीसी|language=}}</ref>
 
== सहायक नदियाँ ==