"अयोध्या प्रसाद खत्री": अवतरणों में अंतर

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जिसका [[ग्रियर्सन]] के साथ [[भारतेंदु मंडल]] के अनेक लेखकों ने प्रतिवाद किया तो [[फ्रेडरिक पिन्काट]] ने समर्थन। इस दृष्टि से यह भाषा, धर्म, जाति, राज्य आदि क्षेत्रीयताओं के सामूहिक उद्धोष का नवजागरण था।<ref>{{cite web |url= http://deshkaal.blogspot.com/2007/11/blog-post_12.html|title=ज़्यादा घातक है आज का साम्राज्यवाद|accessmonthday=[[४ दिसंबर]]|accessyear=[[२००७]]|format= एचटीएमएल|publisher=देशकाल|language=}}</ref>
 
जुलाई २००७ में बिहार के शगर [[मुजफ्फरपुर]] में उनकी समृति में 'अयोध्या प्रसाद खत्री जयंती समारोह समिति' की स्थापना की गई। इसके द्वारा प्रति वर्ष हिंदी साहित्य में विशेष योगदन करने वाले किसी विशिष्ट व्यक्ति को अयोध्या प्रसाद खत्री स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाता है। पुरस्कार में अयोध्या प्रसाद खत्री की डेढडेढ़ फुट ऊँची प्रतिमा, शाल और नकद राशि प्रदान की जाती है। ५-६ जुलाई, २००७ को [[पटना जिला|पटना]] में खड़ी बोली के प्रथम आंदोलनकर्ता अयोध्या प्रसाद खत्री की १५०वीं जयंती आयोजित की गई। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष श्री वीरेन नंदा ने एक फिल्म 'खड़ी बोली का चाणक्य' का निर्माण भी किया है।
 
==संदर्भ==