"मुहम्मद अज़ीज़": अवतरणों में अंतर
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अजीज ने कोलकाता में गालिब रेस्तरां में गायक के रूप में अपना संगीत कैरियर शुरू किया। जहां उनकी पहली हिंदी फिल्म 'अम्बर'
अपने तीन दशक लंबे करियर में मोहम्मद अजीज को कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, राहुल देव बर्मन, नौशाद, ओपी नैय्यर, बप्पी लाहिड़ी, राजेश रोशन, राम-लक्ष्मण, रवींद्र जैन, उषा खन्ना, आनंद-मिलिंद, नदीम-श्रवण, जतिन-ललित, अनु मलिक, दामोदार राव, आनंद राज आनंद और आदेश श्रीवास्तव जैसे म्यूजिक डायरेक्टर्स के साथ गाना गाने का मौका मिला। एक समय में बॉलीवुड के सुपरहिट प्लेबैक सिंगर बन चुके मो अजीज के करियर में ऐसा दौर भी आया, जब वह काम के अभाव में घर पर बैठ गये और धीरे-धीरे गुमनामी के अंधेरों में खो गये।
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वह दुर्लभ गायकों में से एक थे जो 7 वें नोट (सातवें सुर) में गा सकते हैं - उनका एक उदाहरण "सारे शिकवे गिले भुला के कहो" है। लक्ष्मी-प्यारे ने उनकज गायन को बहुत जल्दी पहचान लिया और उन्हें अपनी कई फिल्मों में गाने का मौका दिए। [उद्धरण वांछित]
उन्होंने अमिताभ बच्चन, गोविंदा, ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, सनी देओल, अनिल कपूर और कई अन्य प्रसिद्ध कलाकारों के लिए प्लेबैक गायन किया। बॉलीवुड में, लता मंगेशकर, आशा भोंसले, अनुराधा
अज़ीज़ ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में कुल 2000 से ज्यदा गीत गाए। [उद्धरण वांछित]
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