"सुन्दरमूर्ति": अवतरणों में अंतर

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==पुरनिका==
दन्तकथा मे शन्कर भग्वान आया थ सुन्दरार का शादि मे । शन्कर तो वकिल किया सधु का आकर मे । शन्कर तो सुन्दरार से एक नौकर और एक अनुययि तो पुच्चा था । इस के बाद सुन्दरार को सफ़र किया तमिल नादु मे । वह का मन्दिर सॆर किया । थान्जवुर से पोच्ने से एक लद्कि को पेह्चान किया । उस्कि नाम परवाई थि । थोदथोदा वतवक़त के बाद सुन्दरार और परवै को शादि किया ।
 
थिरुवरूर मे सब ६३ [[नायनमार]] क नाम किर्तन किया । ये किर्तन को [[तिरुतोन्दर तोकै]] बुलाता हे तमिल नदु मे । किर्तन के बाद तमिल नाद मे घुम के लिया शन्कर का भजन गाया और बहुत चमत्कार को दिया ।
 
==राजा के साथ==
उस्का ख्याति को छेरामान परुमल ([[केरला]] का [[राजा]]) सुना था । राजा परुमल तिरुवरुर को आया था और सुन्दरार को पेह्चान लिया । राजा सुन्दरार को दोस्त बनाया और राजा के साथ तीर्थ यत्रा को जाया था ।
 
==म्रत्य==
थोद साल से बाद सुन्दरार तो थक गया और शन्कर भग्वान को स्तुति किया । वो पुचा "इस जनम से आप हम्को मोक्श दे" । शन्कर भग्वान उस्को एक हाथि दिया । सुन्दरार को शन्कर भग्वान को पुच "परुमल हम्के साथ आ सक्ता है"? सुन्दारर उस्का हाथि मे और परुमल उस्का घोदा मे साथियो स्वर्गलोक को जाया था ८२५ साल मे ।
 
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