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इस वंश का पहला शासक [[जलालुद्दीन खिलजी]] था। उसने 1290 इस्वी में गुलाम वंश के अंतिम शासक कैकुबाद की हत्या कर सत्ता प्राप्त की। उसने कैकुबाद को तुर्क, अफगान और फारस के अमीरों के इशारे पर हत्या की।
 
जलालुद्दीन खिलजी मूल रूप से अफगान-तुर्क मूल का था। उसने 6 वर्ष तक शासन किया। उसकी हत्या उसके भतीजे और दामाद जूना खान ने कर दी।<ref name="holt913">Holt et al., The Cambridge History of Islam - The Indian sub-continent, south-east Asia, Africa and the Muslim west, ISBN 978-0521291378, pp 9-13</ref> जूना खान ही बाद में [[अलाउद्दीन खिलजी]] नाम से जाना गया। अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सैन्य अभियान का आरम्भ कारा जागीर के सूबेदार के रूप में की, जहां से उसने मालवा (1292) और देवगिरी (1294) पर छापा मारा और भारी लूटपाट की। अपनी सत्ता पाने के बाद उसने अपने सैन्य अभियान दक्षिण भारत में भी चलाए। उसने गुजरात, मालवा, रणथम्बौर और चित्तौड़ को अपने राज्य में शामिल कर लिया।<ref>Alexander Mikaberidze, Conflict and Conquest in the Islamic World: A Historical Encyclopedia, ISBN 978-1598843361, pp 62-63</ref> उसके इस जीत का जश्न थोड़े समय तक रहा क्योंकि मंगोलों ने उत्तर-पश्चिमी सीमा से लूटमार का सिलसिला शुरू कर दिया। मंगोलों लूटमार के पश्चात वापस लौट गए और छापे मारने भी बंद कर दिए।<ref>Rene Grousset - Empire of steppes, Chagatai Khanate; Rutgers Univ Pr,New Jersey, U.S.A, 1988 ISBN 0-8135-1304-9</ref>
 
मंगोलों के वापस लौटने के पश्चात अलाउद्दीन ने अपने सेनापति मलिक काफूर और खुसरों खान की मदद से दक्षिण भारत की ओर साम्राज्य का विस्तार प्रारंभ कर दिया और भारी मात्रा में लूट का सामान एकत्र किया।<ref>Frank Fanselow (1989), Muslim society in Tamil Nadu (India): an historical perspective, Journal Institute of Muslim Minority Affairs, 10(1), pp 264-289</ref> उसके सेनापतियों ने लूट के सामान एकत्र किये और उस पर ''घनिमा'' (الْغَنيمَة, युद्ध की लूट पर कर) चुकाया, जिससे खिलजी साम्राज्य को मजबूती मिली। इन लूटों में उसे वारंगल की लूट में अब तक के मानव इतिहास का सबसे बड़ा हीरा [[कोहिनूर]] भी मिला।<ref>Hermann Kulke and Dietmar Rothermund, A History of India, 3rd Edition, Routledge, 1998, ISBN 0-415-15482-0</ref>