"सुभाष चन्द्र बोस": अवतरणों में अंतर

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'''सुभाष चन्द्र बोस''' ([[बांग्ला भाषा|बांग्ला]]: সুভাষ চন্দ্র বসু [[उच्चारण]]: शुभाष चॉन्द्रो बोशु, [[जन्म]]: 23 जनवरी 1897, [[मृत्यु]]: 18 अगस्त 1945) जो नेता जी के नाम से भी जाने जाते हैं, [[भारत]] के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे नेता थे। [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने [[जापान]] के सहयोग से [[आज़ाद हिन्द फौज]] का गठन किया था<ref name="An Introduction to Military Science p. 4">{{cite book | title=An Introduction to Military Science | url=http://books.google.co.in/books?id=czHek66k6goC&pg=PA4 | language = hi | accessdate=२३ जनवरी २०१८ | page=४}}</ref>। उनके द्वारा दिया गया [[जय हिन्द]] का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।<ref>[httphttps://www.chhathpujamaabharati.cocom/community2018/viewdiscussion12/2871Biography-netajiof-subhasSubhash-chandraChandra-bose-in-hindi?groupid=570Bose.html : सुभासदेशभक्त चन्द्रसुभाषचंद्र बोस निबंधके जीवन कि अनुठी बातें]</ref>
 
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने [[जापान]] और [[जर्मनी]] से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था।<ref>{{cite news|url=https://www.maabharati.com/2018/12/Biography-of-Subhash-Chandra-Bose.html|title='नेताजी की हत्या का आदेश दिया था'|urllast=http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2005/08/050815_netaji_assasination.shtml|accessdatefirst=22|date=15 अक्टूबरअगस्त 20132005|newspaper=[[बीबीसी हिन्दी]]|accessdate=22 अक्टूबर 2013|quote=एक आयरिश इतिहासकार यूनन ओ हैल्पिन का कहना है कि जब नेताजी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रितानी सरकार ने उन्हें खत्म करने का आदेश दिया था।|date=15 अगस्त 2005}}</ref>
 
नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को [[सिंगापुर]] के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से [[बर्मा]] सहित [[इम्फाल]] और [[कोहिमा]] में एक साथ जमकर मोर्चा लिया।