"मिलन (1967 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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== संक्षेप ==
इस फिल्म की शुरुआत राधा देवी (नूतन) और गोपीनाथ (सुनील दत्त) के शादी से शुरू होती है। वे दोनों नाव में बैठ कर घूमने जाते हैं, और बीच में अचानक भंवर बनने के कारण उन्हें किसी किनारे रुकना पड़ता है। उसके बाद अचानक गोपीनाथ को कुछ चीजें याद आने लगती हैं और वो चलता जाता है। राधा भी उसी के पीछे चलते जाती है। वहाँ उन दोनों की मुलाक़ात एक बूढ़े व्यक्ति से होती है, जो उन्हें बताता है कि बीबीजी और गोपी कई सालों पहले मर चुके हैं। गोपीनाथ फिर गौरी के बारे में पूछता है। उनके बात करते समय ही गौरी आ जाती है और उन दोनों को पहचान जाती है और कहती है कि उनका फिर से जन्म हुआ है, ताकि वे लोग इस जिंदगी एक साथ रह सकें। इसके बाद वो कहानी सुनाना शुरू कर देती है।
 
गोपी एक बहुत ही गरीब लड़का है, जो अपनी दादी के साथ गाँव में रहता है, वहीं राधा एक जमीनदार की बेटी है, जो शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करते रहती है। वे दोनों काफी अच्छे दोस्त बन जाते हैं। वहीं गौरी को गोपी पसंद आ जाता है और रामबाबू (देवेन वर्मा) को राधा पसंद आ जाती है। एक दिन राधा को वो चिट्ठी लिखकर अपने प्यार का इजहार करता है, पर वो उस पर गुस्सा होती है। राधा की सौतेली माँ को ये चिट्ठी मिल जाती है और वो सोचने लगती है कि राधा को भी रामबाबू पसंद है। वो अपने भाई (प्राण) को इस मामले को निपटने के लिए भेज देती है।
 
वो रामबाबू के घर जाता है और देखता है कि उसका परिवार बहुत ही अमीर है और वो राधा का रिश्ता तय कर देता है। वहीं राधा को एहसास होता है कि गोपी से प्यार करने लगी है, पर उसके बाद उसे पता चलता है कि उसकी शादी बिना बताए ही रामबाबू के साथ तय कर दिया गया है। वो अपने पिता से इस बारे में बात करती है, पर कोई हल नहीं निकलता है। वो गोपी के पास जाती है और वो उसे बताता है कि हमारे बीच अमीरी-गरीबी का बहुत बड़ा फर्क है, इस कारण उन दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं हो सकता है। इसके बाद राधा मजबूरी में रामबाबू से शादी कर लेती है और गाँव छोड़ कर चले जाती है।
 
राधा दो महीने बाद अपने पिता के घर विधवा के रूप में आती है। हर कोई उसे देख कर हैरान रह जाता है और इस हाल में देख कर दुःखी होता है। उसके पिता पहले से बीमार होते हैं और अपनी बेटी को इस हाल में देख कर उन्हें दिल का दौरा आ जाता है और उनकी आवाज चले जाती है। राधा को गोपी इस दुःख से निकालने की कोशिश करते रहता है। इसी बीच सारे गाँव में अफवाह फैलने लगती है कि राधा और गोपी का चक्कर चल रहा है। जब ये अफवाह उड़ते उड़ते राधा के कानों तक आती है तो वो गोपी से इस मामले में बात करने जाती है। वो देखती है कि गोपी ने उसके झोपड़े को उसके लिए एक मंदिर के रूप में बना दिया है। उसे एहसास हो जाता है कि गोपी उससे कितना प्यार करता है। वो गोपी को साथ में भाग जाने को कहती है। पहले वो मानने से इंकार कर देता है, पर बाद में मान जाता है। वे दोनों नाव से भागने लगते हैं और भंवर के चपेट में आ जाते हैं।
 
गौरी कहानी सुनाना बंद करती है और कहती है कि अब वो उन्हें एक जोड़े के रूप में देख कर बहुत खुश है। इतना कह कर वो गोपीनाथ के हाथों में दम तोड़ देती है और कहानी समाप्त हो जाती है।
 
== मुख्य कलाकार ==