"आलोचना": अवतरणों में अंतर
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=== सैद्धान्तिक आलोचना ===
सैद्धान्तिक आलोचना में साहित्य के सिद्धान्तों पर विचार होता है। इसमें प्राचीन शास्त्रीय काव्यागों - रस, अलंकार आदि और साहित्य की आधुनिक मान्यताओं तथा नियमों की मुख्य रूप से विवचेना की जाती है। सैद्धान्तिक आलोचना में विचार का बिन्दु यह है कि साहित्य का मानदंड शास्त्रीय है या ऐतिहासिक। मानदंड का शास्त्रीय रूप, स्थिर और अपरिवर्तनशील होता है किन्तु मानदंडों को ऐतिहासिक श्रेणी माननेपर उनका स्वरूप परिवर्तनशील और विकासात्मक होता है। दोनों प्रकार की सैद्धान्तिक आलोचनाएँ उपलब्ध हैं। किन्तु अब उसी सैद्धान्तिक आलोचना का महत्त्व अधिक है जो साहित्य के तत्वों और नियमों की ऐतिहासिक प्रक्रिया में विकासमान मानती
=== निर्णयात्मक आलोचना ===
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