"कुदरत (1981 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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नरेश को एहसास हो जाता है कि अब उसे उन दोनों की जिंदगी से दूर चले जाना चाहिए। वहीं चन्द्रमुखी की मदद से मोहन को पता चल जाता है कि सरस्वती देवी असल में माधव की बहन, सत्तो है। सत्तो उन्हें बताती है कि असल हत्यारा कोई और नहीं, बल्कि जनक है। मोहन अपनी सगाई करुणा के साथ तोड़ देता है और जनक को अदालत तक ले जाता है।
 
बाद में पता चलता है कि जनक ही पारो और माधव के मौत का कारण था। उसने पारो के साथ बलात्कार किया और ये बात जान कर माधव ख़ुदकुशी कर लिया। पारो की लाश न मिलने के कारण मोहन अपना केस हारता हुआ दिख रहा था। मोहन उस हवेली में काम करने वाले पुराने नौकर से मिलने की कोशिश करता है। मोहन किसी तरह बिल्ली राम से मुलाक़ात करता है और वो उसे बताता है कि उस दिन जनक उसे हवेली की एक दीवार को चुनवाने के लिए बुलाया था।
 
मोहन उस हवेली में पुलिस के साथ आ जाता है और उस दीवार को तोड़ने लगता है। उस दीवार से कंकाल निकलता है। करुणा ये सब देख कर अपने आपको कमरे में बंद कर के आग लगा देती है। जनक को जब अपनी बेटी के मौत और पारो के कंकाल मिलने की बात पता चलता है तो वो अपना गुनाह मान लेता है। अंत में मोहन और चन्द्रमुखी एक हो जाते हैं और नरेश अमेरिका लौट जाता है।
 
== मुख्य कलाकार ==