"माहेश्वर सूत्र": अवतरणों में अंतर

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माहेश्वर सूत्रों के द्वितीय सूत्र में 'ॠ' अथवा 'ॡ' नहीं आता है। इसका प्रमाण नन्दिकेश्वरकाशिका है, जिसमें उल्लिखित सूत्रों में 'ऋ' तथा 'ऌ' वर्णित हैं, किंतु 'ॠ' अथवा 'ॡ' नहीं। फलतः अच् प्रत्याहार में भी 'ॠ' अथवा 'ॡ' नहीं अपितु 'ऋ' तथा 'ऌ' होंगे।
पंक्ति 17:
 
१। ''' अइउण्।'''<br />
२। ''' ॠॡक्।ऋऌक्।'''<br />
३. ''' एओङ्।''' <br />
४. ''' ऐऔच्।''' <br />
पंक्ति 44:
उदाहरण: '''अच्''' = प्रथम माहेश्वर सूत्र ‘अइउण्’ के आदि वर्ण ‘अ’ को चतुर्थ सूत्र ‘ऐऔच्’ के अन्तिम वर्ण ‘च्’ से योग कराने पर अच् प्रत्याहार बनता है। यह अच् प्रत्याहार अपने आदि अक्षर ‘अ’ से लेकर इत्संज्ञक च् के पूर्व आने वाले औ पर्यन्त सभी अक्षरों का बोध कराता है। अतः,
 
'''अच् = अ इ उ ए ऐ ओ औ।<br />'''
 
इसी तरह '''हल् प्रत्याहार''' की सिद्धि ५वें सूत्र हयवरट् के आदि अक्षर '''ह''' को अन्तिम १४ वें सूत्र हल् के अन्तिम अक्षर (या इत् वर्ण) '''ल्''' के साथ मिलाने (अनुबन्ध) से होती है। फलतः,