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== हिन्दी कहानी का इतिहास ==
{{main|हिन्दी कहानी का इतिहास}}
[[१९१०]] से [[१९६०]] के बीच हिन्दी कहानी का विकास जितनी गति के साथ हुआ उतनी गति किसी अन्य साहित्यिक विधा के विकास में नहीं देखी जाती। सन [[१९००]] से [[१९१५]] तक हिन्दी कहानी के विकास का पहला दौर था। मन की चंचलता ([[माधवप्रसाद मिश्र]]) [[१९०७]] गुलबहार ([[किशोरीलाल गोस्वामी]]) [[१९०२]], पंडित और पंडितानी ([[गिरिजादत्त वाजपेयी]]) [[१९०३]], ग्यारह वर्ष का समय ([[आचार्य रामचंद्र शुक्ल|रामचंद्र शुक्ल]]) [[१९०३]], दुलाईवाली ([[बंगमहिला]]) [[१९०७]], विद्या बहार ([[विद्यानाथ शर्मा]]) [[१९०९]], राखीबंद भाई ([[वृन्दावनलाल वर्मा]]) [[१९०९]], ग्राम (जयशंकर 'प्रसाद') [[१९११]], सुखमय जीवन (चंद्रधर शर्मा गुलेरी) [[१९११]], रसिया बालम (जयशंकर प्रसाद) [[१९१२]], परदेसी ([[विश्वम्भरनाथ जिज्जा]]) [[१९१२]], कानों में कंगना ([[राजाराधिकारमण प्रसाद सिंह]]) [[१९१३]], रक्षाबंधन ([[विश्वम्भरनाथ शर्मा 'कौशिक']]) [[१९१३]], उसने कहा था ([[चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी'|चंद्रधर शर्मा गुलेरी]]) [[१९१५]], आदि के प्रकाशन से सिद्ध होता है कि इस प्रारंभिक काल में हिन्दी कहानियों के विकास के सभी चिह्न मिल जाते हैं। [[प्रेमचंद]] के आगमन से हिन्दी का कथा-साहित्य [[आदर्शोन्मुख यथार्थवाद]] की ओर मुड़ा। और [[जयशंकर प्रसाद|प्रसाद]] के आगमन से [[रोमांटिक यथार्थवाद]] की ओर। चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' की कहानी 'उसने कहा था' में यह अपनी पूरी रंगीनी में मिलता है। सन [[१९२२]] में [[पांडेय बेचन शर्मा उग्र|उग्र]] का हिन्दी-कथा-साहित्य में प्रवेश हुआ। उग्र न तो प्रसाद की तरह रोमैंटिक थे और न ही प्रेमचंद की भाँति आदर्शोन्मुख यथार्थवादी। वे केवल [[यथार्थवाद|यथार्थवादी]] थे – प्रकृति से ही उन्होंने समाज के नंगे यथार्थ को सशक्त भाषा-शैली में उजागर किया। [[१९२७]]-[[१९२८]] में [[जैनेन्द्र]] ने कहानी लिखना आरंभ किया। उनके आगमन के साथ ही हिन्दी-कहानी का नया उत्थान शुरू हुआ। [[१९३६]] [[अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ|प्रगतिशील लेखक संघ]] की स्थापना हो चुकी थी। इस समय के लेखकों की रचनाओं में प्रगतिशीलता के तत्त्व का जो समावेश हुआ उसे युगधर्म समझना चाहिए। [[यशपाल]] राष्ट्रीय संग्राम के एक सक्रिय क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे, अतः वह प्रभाव उनकी कहानियों में भी आया। [[अज्ञेय]] प्रयोगधर्मा कलाकार थे, उनके आगमन के साथ कहानी नई दिशा की ओर मुड़ी। जिस आधुनिकता बोध की आज बहुत चर्चा की जाती है उसके प्रथम पुरस्कर्ता अज्ञेय ही ठहरते हैं। [[उपेंद्रनाथ अश्क|अश्क]] प्रेमचंद परंपरा के कहानीकार हैं। अश्क के अतिरिक्त [[वृंदावनलाल वर्मा]], [[भगवतीचरण वर्मा]], [[इलाचन्द्र जोशी]], [[अमृतलाल नागर]] आदि उपन्यासकारों ने भी कहानियों के क्षेत्र में काम किया है। किन्तु इनका वास्तविक क्षेत्र [[उपन्यास]] है कहानी नहीं। इसके बाद सन [[१९५०]] के आसपास से हिन्दी कहानियाँ नए दौर से गुजरने लगीं। आधुनिकता बोध की कहानियाँ या [[नई कहानी]] नाम दिया to गया।
 
== समालोचना ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कहानी" से प्राप्त