"सीता और गीता": अवतरणों में अंतर
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== कथानक ==
सीता और गीता दो
उधर सीता पर एक ओर तो उसकी चाची जुल्म करती ही रहती है दूसरी ओर उसकी चाची का भाई रंजीत उस पर बुरी नजर रखता है और उसकी बात न मानने पर एक दिन सीता पर अपना पर्स चुराने का इल्जाम लगाकर उसे बेल्ट से बुरी तरह पीटता है। सीता की चाची उसकी शादी नहीं करना चाहती है क्योंकि उसकी शादी हो जाने पर ₹5000 प्रति महीने से उसे हाथ धोना पड़ेगा। फिर भी सीता के लिए इंग्लैंड से डॉक्टरी पढ़कर आए डॉक्टर रवि (संजीव कुमार) अपने साथ उसके विवाह का रिश्ता लेकर आते हैं, जिसके बारे में सीता के चाचा को पता है कि उन्हें एक सभ्य सुशील भारतीय लड़की ही अपनी पत्नी के रूप में पसंद है। सीता की चाची यह जानकर अपनी पुत्री शीला को तो एक सभ्य सुशील भारतीय लड़की की तरह साड़ी पहनाकर उनके सामने ले जाती है, जबकि सीता को जबरदस्ती धमकाकर अपनी बेटी वाला फैशनेबल पाश्चात्य ड्रेस पहनाकर डॉ० रवि और उसके माता पिता के सामने लाती है। इससे वे लोग रिश्ता नामंजूर कर चले जाते हैं। फिर चाची के अत्याचार से तंग आकर एक दिन सीता घर से भाग जाती है, जिसकी रिपोर्ट पुलिस थाने में लिखायी जाती है। उधर घर से भागी हुई गीता एक बच्चे को देखती है जो जुए में अपने स्कूल की फी के बीस रुपये हार कर रोता रहता है। गीता उस जुआरी को 20 रुपये लौटाने को कहती है और उसके न देने पर उसे जबरन पकड़कर पुलिस थाने ले जाती है। वहां इंस्पेक्टर गीता को देख कर उसे सीता के हुबहू हमशक्ल होने के कारण उसे ही सीता समझ कर सीता के चाचा बद्रीनाथ को फोन कर देते हैं और वे लोग वहां आकर गीता को पकड़ कर जैसे-तैसे घर ले जाने लगते हैं। लेकिन गीता बीच रास्ते ही एक पेड़ की डाल पकड़कर लटक जाती है और फिर कूदकर भाग निकलती है और पीछा करते हुए उन लोगों से बचने के लिए रास्ते में खरी डॉक्टर रवि की गाड़ी में छुप जाती है। जब डॉक्टर रवि भी उसे देखते हैं तो वे भी उसे सीता ही मानते हैं और अपने घर ले जाकर उसे जैसे-तैसे समझाकर साड़ी पहना कर अपने माता पिता के सामने आने को कहते हैं। गीता कुछ तो अनजानवश और कुछ कौतुकवश उसकी बात मान कर यथासंभव वैसा करती है। एक दिन रवि के साथ स्केटिंग करते हुए और गीत गाते हुए दोनों दूर निकल जाते हैं। गीता स्केट को न रोक पाने के कारण जैसे-तैसे एक्सीडेंटों से बचते हुए पुलिस द्वारा पकड़ कर अपने घर (सीता के घर) पहुंचा दी जाती है। वहां सीता की दादी को असहाय और लाचार देखकर तथा वहां होने वाले जुल्म को समझ कर वह निर्णय करती है कि इस जुर्म को समाप्त किए बिना वह वहां से नहीं जाएगी। इसके बाद वह सीता की क्रूर चाची और उसकी बेटी की अच्छी खबर लेती है और उनसे सीता पर ढाए गए जुल्मों का बदला अच्छी तरह लेती है। एक दिन रंजीत की भी खूब धुनाई करती है।
इधर घर से भागी सीता आत्महत्या करने के लिए पुल से नदी में कूदती है और राका द्वारा बचाई जाकर गीता के घर पहुंच जाती है, जहां उसे गीता की मां अपनी बेटी गीता ही मानती है। वह यह जानते हुए भी कि उन लोगों को कोई भ्रम हो रहा है फिर भी उस औरत से मां का प्यार पाकर वहीं रह जाती है। राका को उसके काफी बदले स्वभाव से आश्चर्य तो बहुत होता है पर उसके प्रभाव में आकर वह कभी शराब न पीने का संकल्प भी करता है।
इधर गीता की शादी सीता के रूप में डॉक्टर रवि से और उधर सीता की शादी गीता के रूप में राका से तय हो जाती है। समस्या तब आती है जब एक दिन रंजीत सब्जी खरीदते हुए वास्तविक सीता को देख लेता है और घर आकर गीता को सीता के माता-पिता के चित्र के पास अपनी स्वीकारोक्ति सुनकर समझ जाता है कि यह वास्तव में एक बंजारन है। तब वह अपने गुर्गों द्वारा सीता का अपहरण करवाता है और घर आकर बतलाता है कि यह लड़की सीता नहीं बल्कि उसकी हमशक्ल है और शायद इसी ने सीता का अपहरण कर उसका खून कर दिया है। पुलिस गीता को गिरफ्तार कर ले जाती है। राका उसे जेल की दूसरी मंजिल से छड़ काटकर आजाद करा ले जाता है। उन दोनों को बालक टीना से यह पता चलता है कि सीता को रंजीत एक कमरे में कैद करके रखा है। सीता दीवार पर सिर पटक कर अपना सिर फोड़ लेती है और उसके इलाज के लिए रंजीत के गुर्गे डॉ रवि को ही ले आते हैं। रवि द्वारा असलियत जान लिए जाने पर रंजीत उसे भी बगल के कमरे में बंद करवा देता है और सीता से जबरन शादी करना चाहता है। लेकिन गीता वहां पहुंचकर सीता को आजाद करती है और खुद सीता की जगह दुल्हन बनकर रंजीत के साथ फेरे लेने पहुंच जाती है, जहां फेरे के बदले उन सबकी अच्छी धुनाई करती है पर उसके के गुंडों द्वारा बाद में पकड़ ली जाती है। तभी राका आकर सबकी धुनाई करता है। आजाद होकर गीता, सीता और डॉक्टर रवि भी गुंडों से लड़ते हैं। लड़ाई को भी मनोरंजक बनाया गया है। फिर वास्तविक सीता की शादी डॉक्टर रवि से और गीता की शादी राका से होती है।
== चरित्र ==
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