"शिक्षाशास्त्र": अवतरणों में अंतर

शिक्षण अधिगम एवं विकास का मनोविज्ञान लेखक प्रोफेसर सुधीर भटनागर डॉक्टर सुरेश जोशी
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छोNo edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 2:
शिक्षण-कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन '''शिक्षाशास्त्र''' या '''शिक्षणशास्त्र''' (Pedagogy) कहलाता है। इसमें अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है। शिक्षक अध्यापन कार्य करता है तो वह इस बात का ध्यान रखता है कि अधिगमकर्ता को अधिक से अधिक समझ में आवे।
 
शिक्षा एक सजीव गतिशील प्रक्रिया है। इसमें अध्यापक और शिक्षार्थी के मध्य अन्त:क्रिया होती रहती है और सम्पूर्ण अन्त:क्रिया किसी लक्ष्य की ओर उन्मुख होती है। शिक्षक और शिक्षार्थी शिक्षाशास्त्र के आधार पर एक दूसरे के व्यक्तित्व से लाभान्वित और प्रभावित होते रहते हैं और यह प्रभाव किसी विशिष्‍ट दिशा की और स्पष्ट रूप से अभिमुख होता है। बदलते समय के साथ सम्पूर्ण शिक्षा-चक्र गतिशील है। उसकी गति किस दिशा में हो रही है? कौन प्रभावित हो रहा है? इस दिशा का लक्ष्य निर्धारण शिक्षाशास्त्र करता है।<blockquote>'''
<big>शिक्षण की प्रकृति</big>
'''</blockquote>शिक्षण की प्रकृति
 
1 शिक्षण एक सामाजिक क्रिया है।
Line 32 ⟶ 34:
14 शिक्षण विकास की प्रक्रिया है।
 
शिक्षण के सिद्धांतपरिभाषाओं
परिभाषाओं
 
े आधार पर शिक्षण की प्रकृति निम्न ज्ञात होती है -
 
एक शिक्षण एक सामाजिक क्रिया है शिक्षण मानव प्रकृति पर आधारित है शिक्षण उस देश की राजनीतिक वातावरण से प्रभावित होती है शिक्षण अधिगम करता और शिक्षक के मध्य अंतर क्रिया होती है शिक्षण उद्देश्य पूर्ण होता है शिक्षण विशेष संदर्भ में प्रभावशाली हो जाता है शिक्षण प्रशिक्षण की सेलिब्रिटी प्रथक होती है शिक्षण में मार्गदर्शन एवं निर्देश होता है शिक्षा एक वर्णनात्मक क्रिया है शिक्षण अनौपचारिक एवं औपचारिक दोनों होता है शिक्षण प्रक्रिया में शिक्षक छात्र एवं पाठ्यक्रम सम्मिलित हैं यह एक गतिशील प्रक्रिया है शिक्षण एक अनवरत प्रक्रिया है शिक्षण विकास की प्रक्रिया हैयहधान्त
 
शिक्षण के सिद्धान्त