"मुक्तक": अवतरणों में अंतर

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'''मुक्तक''' [[काव्य]] या [[कविता]] का वह प्रकार है जिसमें चारप्रबन्धकीयता पंक्तियाँ होतीहो। हैं।इसमें पहलीएक दूसरीछन्द तथामें चौथेकथित पंक्तिबात का दूसरे छन्द में तुककही होतीगयी है।बात तीसरीसे पंक्तिकोई मेंसम्बन्ध तुकया नहींतारतम्य होतीहोना आवश्यक नहीं है। उदाहरण [[कबीर दास|कबीर]] एवं [[रहीम]] के लिएदोहे; दुश्यंत[[मीराबाई]] कुमारके कापद्य यहआदि सब मुक्तक- रचनाएं हैं। [[हिन्दी]] के [[रीतिकाल]] में अधिकांश मुक्तक काव्यों की रचना हुई।
 
==इन्हें भी देखें==
संभल संभलकर बहुत पाँव घर रहा हूँ मैं
*[[काव्य]]
*[[महाकाव्य]]
*[[खण्डकाव्य]]
 
पहाड़ी ढाल से जैसे उतर रहा हूँ मैं
 
क़दम क़दम पर मुझे टोकता है दिल ऐसे
 
गुनाह कोई बड़ा जैसे कर रहा हूँ मैं।
[[श्रेणी: काव्य]]