"रघुवंशम्": अवतरणों में अंतर

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'''रघुवंश''' [[कालिदास]] रचित [[महाकाव्य]] है। इस महाकाव्य में उन्नीस सर्गों में [[रघु]] के कुल में उत्पन्न इकतीस(31)बीस राजाओं का इक्कीस प्रकार के [[छन्द|छन्दों]] का प्रयोग करते हुए वर्णन किया गया है। इसमें [[दिलीप]], [[रघु]], [[दशरथ]], [[राम]], [[कुश]] और [[अतिथि]] का विशेष वर्णन किया गया है। वे सभी समाज में आदर्श स्थापित करने में सफल हुए। [[राम]] का इसमें विषद वर्णन किया गया है। उन्नीस में से छः सर्ग उनसे ही संबन्धित हैं।
 
आदिकवि [[वाल्मीकि]] ने राम को नायक बनाकर अपनी [[रामायण]] रची, जिसका अनुसरण विश्व के कई कवियों और लेखकों ने अपनी-अपनी भाषा में किया और राम की कथा को अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। कालिदास ने यद्यपि राम की कथा रची परंतु इस कथा में उन्होंने किसी एक पात्र को नायक के रूप में नहीं उभारा। उन्होंने अपनी कृति ‘रघुवंश’ में पूरे वंश की कथा रची, जो दिलीप से आरम्भ होती है और अग्निवर्ण पर समाप्त होती है। अग्निवर्ण के मरणोपरांत उसकी गर्भवती पत्नी के राज्यभिषेक के उपरान्त इस महाकाव्य की इतिश्री होती है।