"रोशन सिंह": अवतरणों में अंतर

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[[Image:Roshan Singh.jpg|right|thumb|300px|महान क्रान्तिकारी रोशन सिंह]]
[[चित्र:Roshan Singh1341.GIF|thumb|right|200px|रोशन सिंह ([[जन्म]]:१८९२-[[मृत्यु]]:१९२७)]]
'''[https://www.gyangoon.co.in/2018/12/11/thakur-roshan-singh-biography-in-hindi/ ठाकुर रोशन सिंह]''' (१८९२ - १९२७) [[भारत]] के स्वतन्त्रता संग्राम के एक क्रान्तिकारी थे।
 
[[असहयोग आन्दोलन]] के दौरान [[उत्तर प्रदेश]] के [[बरेली]] जिले में हुए गोली-काण्ड में सजा काटकर जैसे ही शान्तिपूर्ण जीवन बिताने घर वापस आये कि '''हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन''' में शामिल हो गये। यद्यपि ठाकुर साहब ने [[काकोरी काण्ड]] में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया था फिर भी आपके आकर्षक व रौबीले व्यक्तित्व को देखकर [[काकोरी काण्ड]] के सूत्रधार पण्डित [[राम प्रसाद बिस्मिल]] व उनके सहकारी [[अशफाक उल्ला खाँ]] के साथ १९ दिसम्बर १९२७ को [[फाँसी]] दे दी गयी। ये तीनों ही क्रान्तिकारी [[उत्तर प्रदेश]] के शहीदगढ़ कहे जाने वाले जनपद [[शाहजहाँपुर]] के रहने वाले थे। इनमें ठाकुर साहब आयु के लिहाज से सबसे बडे, अनुभवी, दक्ष व अचूक निशानेबाज थे।
 
== संक्षिप्त जीवन परिचय ==
[https://www.gyangoon.co.in/2018/12/11/thakur-roshan-singh-biography-in-hindi/ कान्तिकारी ठाकुर रोशन सिंह] का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[शाहजहाँपुर]] जनपद में [[फतेहगंज]] से १० किलोमीटर दूर स्थित [[गाँव]] नबादा में २२ जनवरी १८९२ को हुआ था। आपकी [[माता]] जी का नाम कौशल्या देवी एवं [[पिता]] जी का ठाकुर जंगी सिंह था। पूरा परिवार [[आर्य समाज]] से अनुप्राणित था। आप पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। [[असहयोग आन्दोलन]] में उत्तर प्रदेश के [[शाहजहाँपुर]] और [[बरेली]] जिले के ग्रामीण क्षेत्र में आपने अद्भुत योगदान दिया था। यही नहीं, [[बरेली]] में हुए गोली-काण्ड में एक पुलिस वाले की रायफल छीनकर जबर्दस्त फायरिंग शुरू कर दी थी जिसके कारण हमलावर [[पुलिस]] को उल्टे पाँव भागना पडा। मुकदमा चला और ठाकुर रोशन सिंह को सेण्ट्रल जेल [[बरेली]] में दो साल वामशक्कत कैद (Rigorous Imprisonment) की सजा काटनी पडी थी।
 
== बिस्मिल के सम्पर्क में ==
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== बाहरी कड़ियाँ==
*[https://www.gyangoon.co.in/2018/12/11/thakur-roshan-singh-biography-in-hindi/ शहीद ठाकुर रोशन सिंह]
*[http://www.anilverma.in '''ठाकुर रोशनसिंह''' : उपेक्षित है अंतिम निशाँ]