"गेहूँ के जवारे": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो 122.177.154.197 (Talk) के संपादनों को हटाकर Viratsharma1 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत... |
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 1:
[[चित्र:Junges Weizengras.JPG|300px|right|thumb|गेहूँ के जवारे]]
[[File:Wheatgrass (Triticum aestivum).jpg|300px|right|thumb|गेहूँ के जवारेका तस्वीर]]
जब [[गेहूं]] के बीज को अच्छी उपजाऊ जमीन में बोया जाता है तो कुछ ही दिनों में वह [[अंकुरण|अंकुरित]] होकर बढ़ने लगता है और उसमें पत्तियां निकलने लगती है। जब यह अंकुरण पांच-छह पत्तों का हो जाता है तो अंकुरित बीज का यह भाग '''
प्रकृति ने हमें स्वस्थ, ऊर्जावान, निरोगी और आयुष्मान रहने के लिए हमें अनेक प्रकार के पौष्टिक फल, फूल, मेवे, तरकारियां, जड़ी-बूटियां, मसाले, शहद और अन्य खाद्यान्न दिये हैं। ऐसा ही एक संजीवनी का बूटा है गेहूँ का ज्वारा। इसका वानस्पतिक नाम “ट्रिटिकम वेस्टिकम” है। डॉ॰ एन विग्मोर ज्वारे के रस को “हरित रक्त” कहती है। इसे गेहूँ का ज्वारा या घास कहना ठीक नहीं होगा। यह वास्तव में अंकुरित गेहूँ है।
|