"गेहूँ के जवारे": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Junges Weizengras.JPG|300px|right|thumb|गेहूँ के जवारे]]
[[File:Wheatgrass (Triticum aestivum).jpg|300px|right|thumb|गेहूँ के जवारेका तस्वीर]]
जब [[गेहूं]] के बीज को अच्छी उपजाऊ जमीन में बोया जाता है तो कुछ ही दिनों में वह [[अंकुरण|अंकुरित]] होकर बढ़ने लगता है और उसमें पत्तियां निकलने लगती है। जब यह
प्रकृति ने हमें स्वस्थ, ऊर्जावान, निरोगी और आयुष्मान रहने के लिए हमें अनेक प्रकार के पौष्टिक फल, फूल, मेवे, तरकारियां, जड़ी-बूटियां, मसाले, शहद और अन्य खाद्यान्न दिये हैं। ऐसा ही एक संजीवनी का बूटा है गेहूँ का ज्वारा। इसका वानस्पतिक नाम “ट्रिटिकम वेस्टिकम” है। डॉ॰ एन विग्मोर ज्वारे के रस को “हरित रक्त” कहती है। इसे गेहूँ का ज्वारा या घास कहना ठीक नहीं होगा। यह वास्तव में अंकुरित गेहूँ है।
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