"संन्यास": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
सनातन सत्य (वार्ता | योगदान) No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 2:
[[हिन्दू धर्म]] में जीवन के ४ भाग ([[आश्रम]]) किए गए हैं- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। चौथा भाग सन्यास का अर्थ एक न्यासी या ट्रस्टी की तरह जीवन व्यतीत करना होता है। इस आश्रम का उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति है। मनुष्य जीवन को १०० वर्षों का मानकर ७५ वर्ष के उपरांत व्यक्ति को इस तरह से जीवन यापन करना चाहिए।
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]सन्यास का अर्थ सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण निरंतर करते रहना।शास्त्रों में सन्यास को जीवन की सर्वोच्च अवस्था कहते हैं। सन्यासी इस संसार में रहते हुए निर्लिप्त बने रहते हैं, अर्थात् ब्रह्म चिन्तन में लीन रहते हुए
|