"महात्मा रामचन्द्र वीर": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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१९३५ में कल्याण ([[मुंबई]]) के निकटवर्ती गाँव तीस के [[दुर्गा]] मंदिर में दी जाने वाली निरीह पशुबलि के विरुद्ध संघर्षरत हुए. जनजागरण व अनशन के कारण मंदिर के ट्रस्टियों ने पशुबलि रोकने की घोषणा कर दी। उन्होंने [[भुसावल]], [[जबलपुर]] तथा अन्य अनेक नगरों में पहुँच कर कुछ देवालयों में दी जाने वाली पशुबलि को घोर शास्त्रविरोधी व अमानवीय करार देकर इस कलंक से मुक्ति दिलाई. स्वामी रामचन्द्र वीर ने 1000 से अधिक मंदिरों में धर्म के नाम पर होने वाली पशु-बलि को बंद कराया था। कलकत्ता के काली मंदिर पर होने वाली पशुबलि का विरोध करने पर आप पर प्राणघातक हमला भी हुआ। तब स्वयं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने आकर आपका अनशन तुडवाया था।
[[चित्र:Acharya Dharmendra with his father Mahatma Ramchandra Veer
रामचंद्र वीर ने सन १९३२ से ही '''गोहत्या के विरुद्ध जनजागरण''' छेड़ दिया था। इन्होंने अनेक राज्यों में गोहत्या बंदी से सम्बन्धी कानून बनाये जाने को लेकर अनेक अनशन किये। सन १९६६ में '''सर्वदलीय गोरक्षा अभियान समिति''' ने दिल्ली में व्यापक जन-आन्दोलन चलाया।
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