"लक्ष्मीमल्ल सिंघवी": अवतरणों में अंतर

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डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी ने हिंदी के वैश्वीकरण और हिंदी के उन्नयन की दिशा में सजगतासजग, सक्रियतासक्रिय और ईमानदार प्रयास किए। भारतीय राजदूत के रूप में उन्होंने ब्रिटेन में भारतीयता को पुष्पित करने का प्रयास तो किया ही, अपने देश की भाषा के माध्यम से न केवल प्रवासियों अपितु विदेशियों को भी भारतीयता से जोड़ने की कोशिश की। वे संस्कृतियों के मध्य सेतु की तरह अडिग और सदा सक्रिय रहे। वे भारतीय संस्कृति का राजदूत, ब्रिटेन में हिन्दी के प्रणेता और हिंदी-भाषियों के लिए प्रेरणा स्रोत थे। विश्व भर में फैले भारत वंशियों के लिए [[प्रवासी भारतीय दिवस]] मनाने की संकल्पना डॉ. सिंघवी की ही थी। वे साहित्य अमृत के संपादक रहे और काल में उन्होने श्री विद्यानिवास मिश्र की स्वस्थ साहित्यिक परंपरा को गति प्रदान की। [[भारतीय ज्ञानपीठ]] को भी श्री सिंघवी की सेवाएँ सदैव स्मरण रहेंगी।<ref>{{cite web |url= http://www.srijangatha.com/2007-08/November07/apnibaat-jayprakash%20manas.htm|title= अपनी बात
|accessmonthday=[[२ अप्रैल]]|accessyear=[[२००९]]|format= एचटीएम|publisher=सृजनगाथा|language=}}</ref>