"लक्ष्मीमल्ल सिंघवी": अवतरणों में अंतर

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|accessmonthday=[[२ अप्रैल]]|accessyear=[[२००९]]|format= एचटीएम|publisher=सृजनगाथा|language=}}</ref>
 
भारतीय डायसपोरा की अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष श्री सिंघवी ने अनेक पुस्तकों की रचना भी की है। वे कई कला तथा सांस्कृतिक संगठनों के संरक्षक भी थे। जैन इतिहास और संस्कृति के जानकार के रूप में मशहूर श्री सिंघवी ने कई पुस्तकें लिखीलिखीं जिनमें से अनेक हिंदी में हैं। श्री सिंघवी प्रवासी भारतीयों की उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष भी रहे।<ref>{{cite web |url= http://evishwa.com/articledetail.php?ArticleId=22&CategoryId=0|title=हिन्दी का प्रवासी साहित्य
|accessmonthday=[[२ अप्रैल]]|accessyear=[[२००९]]|format= पीएचपी|publisher=ईविश्वा|language=}}</ref> विधि और कूटनीति की कूट एवं कठिन भाषा को सरल हिन्दी में अभिव्यक्त करने में उनका कोई सानी नहीं था। [[विश्व हिन्दी सम्मेलन]] के आयोजनों में सदा उनकी अग्रणी भूमिका रहती थी। संध्या का सूरज: हिन्दी काव्य, पुनश्च (संस्मरणों का संग्रह), भारत हमारा समय, जैन मंदिर आदि उनकी प्रसिद्ध हिन्दी कृतियाँ हैं। अँग्रेज़ी में टुवर्डस ग्लोबल टुगैदरनेस (Towards Global Togetherness), डेमोक्रेसी एंड द रूल ऑफ़ द लॉ (Democracy and the Rule of the Law), फ्रीडम ऑन ट्रायल (Freedom on trial) आदि उनकी प्रसिद्ध अँग्रेज़ी पुस्तकें हैं। ८ दिसंबर २००८ को भारतीय डाकतार विभाग ने उनके सम्मान में एक डाक-टिकट तथा प्रथम दिवस आवरण प्रकाशित किया है।<ref>{{cite web |url= http://www.indiapost.gov.in/Stamps2008.html|title=इंडिया पोस्ट
|accessmonthday=[[२ अप्रैल]]|accessyear=[[२००९]]|format=एचटीएमएल|publisher=२००८ के डाकटिकट|language=अँग्रेज़ी}}</ref>